सूर्य उपासना का महत्व : सफलता, समृद्धि और शत्रुनाश का रहस्य
- by Priyanka Tiwari
- 2025-06-29 03:57:00

India News Live,Digital Desk : हिंदू धर्म में सूर्य देव को आत्मबल, सम्मान और सफलता का प्रतीक माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रतिदिन प्रातःकाल सूर्य को जल अर्पण करने और "आदित्य हृदय स्तोत्र" का पाठ करने से न केवल व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, बल्कि कुंडली में सूर्य की स्थिति भी मजबूत होती है। इससे करियर, धन और मान-सम्मान में वृद्धि होती है और जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
सूर्य देव की आराधना और आदित्य हृदय स्तोत्र का महत्व
धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति नित्य सूर्य देव को जल अर्पित करता है और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करता है, उसके जीवन में आत्मविश्वास और सफलता का प्रकाश फैलता है। विशेष रूप से रविवार के दिन यह साधना अत्यंत फलदायक मानी जाती है।
आदित्य हृदय स्तोत्र: विजय का दिव्य मंत्र
वाल्मीकि रामायण में वर्णित यह स्तोत्र अगस्त्य ऋषि द्वारा राम को युद्ध भूमि में रावण के सम्मुख विजय प्राप्त करने हेतु बताया गया था। इसमें सूर्य देव के 108 नामों और उनके प्रभावों का वर्णन किया गया है। इसे पढ़ने से व्यक्ति के मन से भय और नकारात्मकता दूर होती है।
सूर्य पूजा से होते हैं ये लाभ:
कुंडली में सूर्य मजबूत होने पर करियर में तरक्की मिलती है।
शत्रुओं पर विजय और मानसिक बल प्राप्त होता है।
धन, स्वास्थ्य और आत्मबल में वृद्धि होती है।
अवसाद, चिंता और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।
कैसे करें सूर्य देव की पूजा?
प्रातःकाल स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल भरें।
उसमें लाल फूल, रोली और चावल डालें।
पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य को जल अर्पित करें।
"ॐ घृणि सूर्याय नमः" या आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
इस क्रिया को नियमित रूप से करने से चमत्कारी लाभ प्राप्त होते हैं।