Yogi government's big decision : गन्ना किसानों की मिठास बढ़ी, अब 400 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा दाम
India News Live,Digital Desk : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मंगलवार को राज्य के गन्ना किसानों को बड़ी राहत दी है। सरकार ने पेराई सत्र 2025-26 के लिए गन्ने का राज्य सलाहकार मूल्य (SAP) 30 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाने का ऐलान किया है। इस फैसले के बाद अब किसानों को अगैती गन्ना 400 रुपये और सामान्य गन्ना 390 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से कीमत मिलेगी।
46 लाख किसानों को फायदा
गन्ना मंत्री ने बताया कि सरकार के इस कदम से प्रदेश के 46 लाख गन्ना किसानों को सीधा फायदा होगा। किसानों की आय में करीब 3,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त बढ़ोतरी होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि पिछले आठ सालों में योगी सरकार ने गन्ने के दाम में कुल 85 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की है।
2017 से अब तक चार बार बढ़े गन्ने के दाम
राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद यह चौथी बार है जब गन्ने के दाम बढ़ाए गए हैं।
- 2017-18: 10 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि
- 2021-22: 25 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि
- 2023-24: 20 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि
- 2025-26: 30 रुपये प्रति क्विंटल की रिकॉर्ड वृद्धि
गन्ना उद्योग में पारदर्शिता और निवेश
गन्ना मंत्री ने बताया कि 2017 से पहले प्रदेश में गन्ना माफिया का बोलबाला था, कई मिलें बंद पड़ी थीं। लेकिन योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल में पारदर्शी व्यवस्था लागू की गई।
पिछले आठ सालों में 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश गन्ना क्षेत्र में हुआ है।
अब तक चार नई मिलें खोली गईं, छह बंद मिलें फिर से चालू हुईं, और 42 मिलों की उत्पादन क्षमता बढ़ाई गई है।
गन्ना पर्ची हुई ऑनलाइन, यूपी देश में नंबर-1
अब गन्ना पर्ची की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो चुकी है। उत्तर प्रदेश आज देश में गन्ना, चीनी और एथेनॉल उत्पादन में पहले स्थान पर है।
वर्ष 2017 से अब तक प्रदेश में गन्ने का रकबा 20 लाख हेक्टेयर बढ़कर 29.51 लाख हेक्टेयर हो गया है।
सरकार ने अब तक 2.90 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का गन्ना मूल्य भुगतान कराया है, जो पिछली सरकारों के मुकाबले करीब दोगुना है।
पड़ोसी राज्यों से तुलना
गन्ना मंत्री ने बताया कि अब यूपी का गन्ना मूल्य महाराष्ट्र और कर्नाटक से अधिक हो गया है।
- उत्तर प्रदेश: 400 रुपये प्रति क्विंटल (अगैती)
- महाराष्ट्र और कर्नाटक: 355 रुपये प्रति क्विंटल
हालांकि, हरियाणा (415 रुपये) और पंजाब (401 रुपये) अभी भी यूपी से आगे हैं।
राजनीतिक प्रभाव भी तय
विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला सिर्फ किसानों के हित में नहीं बल्कि राजनीतिक रूप से भी अहम है।
आने वाले पंचायत चुनाव (2026) और विधानसभा चुनाव (2027) को देखते हुए यह निर्णय एनडीए की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
बीजेपी चाहती है कि इस फैसले से ग्रामीण इलाकों में सकारात्मक माहौल बने और किसान वर्ग में पार्टी की पकड़ मजबूत हो।