Trump administration's new stance on H1B visas : विदेशी विशेषज्ञ आएं, सिखाएं और लौट जाएं
India News Live,Digital Desk : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच1बी वीजा पर नरमी के संकेत देने के एक दिन बाद ही वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने उनकी मंशा स्पष्ट कर दी। बेसेंट ने कहा कि राष्ट्रपति का उद्देश्य विदेशी कुशल कामगारों को अमेरिका में बुलाकर उन्हें अमेरिकी नागरिकों को प्रशिक्षित करने और फिर अपने देश लौट जाने का अवसर देना है।
“तीन से सात साल तक का प्रशिक्षण मिशन”
एक अमेरिकी टीवी चैनल से बातचीत में बेसेंट ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप चाहते हैं कि विदेशी विशेषज्ञ 3, 5 या 7 साल तक अमेरिका में रहकर स्थानीय कामगारों को प्रशिक्षित करें।
उन्होंने कहा, “हमारे पास फिलहाल पर्याप्त दक्षता नहीं है। पिछले 20-30 वर्षों में हमने जहाज निर्माण और सेमीकंडक्टर उत्पादन जैसी नौकरियां विदेशों में भेज दीं। अब हम इन उद्योगों को फिर से अमेरिका में लाना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए कुशल विदेशी हाथों की मदद जरूरी है।”
अमेरिका फर्स्ट की नीति बरकरार
बेसेंट ने स्पष्ट किया कि प्रशासन की प्राथमिकता अब भी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति पर टिकी है। सरकार चाहती है कि रक्षा, शिपबिल्डिंग और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में अमेरिकी नागरिक आगे आएं, लेकिन जब तक वे पूरी तरह प्रशिक्षित नहीं हो जाते, तब तक विदेशी विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी।
व्हाइट हाउस का बयान
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने बताया कि प्रशासन वीजा प्रणाली में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रवक्ता टेलर रोजर्स ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप ने रिकॉर्ड समय में आव्रजन कानूनों को सख्त किया है, लेकिन हम यह भी मानते हैं कि अमेरिका को उच्च कुशल प्रतिभाओं की आवश्यकता है।”
गृह मंत्री का रुख
अमेरिकी गृह मंत्री क्रिस्टी नोएम ने कहा कि अमेरिका का वीजा प्रोग्राम जारी रहेगा, लेकिन इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि कोई भी व्यक्ति जो आतंकी या घृणा फैलाने वाले संगठनों से जुड़ा है, उसे अमेरिका में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
एच1बी वीजा पर ट्रंप का यू-टर्न
हाल ही में एक साक्षात्कार में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ दिमागों की जरूरत है। उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ क्षेत्रों में स्थानीय प्रतिभा की भारी कमी है।
हालांकि, सितंबर 2025 में ट्रंप प्रशासन ने वीजा सिस्टम पर सख्ती बढ़ाते हुए एच1बी वीजा के लिए 1 लाख डॉलर की फीस तय की थी। इससे भारतीय पेशेवरों में हड़कंप मच गया था, क्योंकि इस कार्यक्रम के 70% से अधिक लाभार्थी भारतीय हैं।