Red Fort blast : फोरेंसिक जांच में खुलासा – कार के पीछे से गई ब्लास्ट वेव, ‘डायरेक्शनल ब्लास्ट’ की आशंका

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India News Live,Digital Desk : लाल किला के पास हुए आतंकी धमाके की फोरेंसिक जांच से अब कई अहम सुराग सामने आने लगे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि विस्फोट की धमक यानी ब्लास्ट वेव कार के पीछे की ओर क्यों गई, इसका जवाब कार की बनावट और विस्फोटक के स्थान में छिपा है।

जांच में साफ हुआ कि विस्फोटक या तो कार की डिक्की में या फिर पीछे की सीट के नीचे रखा गया था। जब ब्लास्ट हुआ, तो कार के अंदर बनी गर्म गैसें और दबाव तेजी से बाहर निकलना चाहते थे। आगे का हिस्सा इंजन और मोटी धातु से बना होने के कारण दबाव को रोक गया, जबकि पीछे का हिस्सा अपेक्षाकृत कमजोर था — नतीजा यह हुआ कि पूरी धमक पीछे की ओर गई।

इस वजह से पीछे चल रही गाड़ियां और उनमें बैठे लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए, जबकि आगे वाले वाहनों को कम नुकसान पहुंचा।

‘डायरेक्शनल ब्लास्ट’ – एक सोची-समझी आतंकी रणनीति

फोरेंसिक विशेषज्ञों के मुताबिक यह कोई संयोग नहीं, बल्कि सोची-समझी आतंकी रणनीति हो सकती है। इसे तकनीकी भाषा में डायरेक्शनल ब्लास्ट कहा जाता है, यानी ऐसा विस्फोट जिसमें ऊर्जा को किसी एक दिशा में मोड़ा जाए ताकि नुकसान अधिक हो।

कंप्यूटर सिमुलेशन से भी यही बात साबित हुई है। ‘शॉकवेव प्रेशर सिमुलेशन’ में दिखा कि इंजन और बोनट की मजबूत धातु ने दबाव को आगे से रोक लिया, जिससे पूरी ताकत पीछे की ओर फट पड़ी। तेज रफ्तार से निकले धातु के टुकड़े, शीशे और गर्म गैसें पीछे की गाड़ियों से टकराईं, जिससे कई वाहन चकनाचूर हो गए और कई लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।

300 मीटर तक फैली तबाही

ब्लास्ट की ताकत इतनी ज्यादा थी कि मानव शरीर के टुकड़े 300 मीटर तक दूर जा गिरे। जांच टीमें अब भी आसपास से अवशेष और साक्ष्य बरामद कर रही हैं।

अब एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि आतंकी डॉ. उमर ने किस प्रकार का और कितनी मात्रा में विस्फोटक इस्तेमाल किया, कार में उसे किसने लगाया और विस्फोट का ट्रिगर कैसे सक्रिय हुआ।

फोरेंसिक रिपोर्ट में क्या सामने आया

  • गैस क्रोमैटोग्राफी-मास स्पेक्ट्रोमेट्री (GC-MS) जांच में विस्फोटकों के स्पष्ट निशान मिले।
  • फोरियर ट्रांसफॉर्म इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी (FTIR) से पुष्टि हुई कि धमाका ठोस विस्फोटक से हुआ।
  • स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी विद एक्स-रे डिटेक्शन (SEM-EDX) में कॉपर, एल्यूमिनियम और आयरन के सूक्ष्म कण मिले — जो इलेक्ट्रॉनिक डेटोनेटर या टाइमर डिवाइस की उपस्थिति दिखाते हैं।
  • एक्स-रे डिफ्रैक्शन (XRD) से यह साबित हुआ कि विस्फोट बेहद उच्च तापमान पर हुआ।
  • स्मोक और गैस एनालिसिस में नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा काफी अधिक पाई गई।

घटनास्थल से मिले सबूत

  • लाल किला के मुख्य प्रवेश द्वार के पास पत्थर उखड़े और लोहे की रेलिंग मुड़ी मिली।
  • पार्किंग क्षेत्र में 50 मीटर दूर खड़ी गाड़ियों के शीशे टूटे और बोनट उखड़ गए।
  • बस स्टॉप की छत पर विस्फोटक के कण पाए गए।
  • सड़क के दोनों ओर कंक्रीट के छींटे, काले धुएं के निशान और पिघली धातु के अवशेष मिले।
  • करीब 100 मीटर दूर एक पेड़ के तने पर भी बारूद के निशान पाए गए।

अब जांच का फोकस

एफएसएल टीम ने कार के टुकड़ों, मिट्टी और दीवारों से 500 से ज्यादा नमूने एकत्र किए हैं। इनका वैज्ञानिक विश्लेषण जारी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि धमाके में कौन-कौन से केमिकल्स इस्तेमाल हुए और आतंकी नेटवर्क इसके पीछे कैसे सक्रिय था।