ईरान-इजरायल तनाव ने बढ़ाई दुनिया की चिंता: अमेरिका के हमले के बाद कच्चे तेल की कीमतें उछलने की आशंका

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India News Live,Digital Desk : ईरान-इजरायल संघर्ष में अमेरिका की एंट्री हो गई है। अमेरिका ने ईरान के परमाणु संयंत्र पर हवाई हमला किया है। इस हमले के बाद मध्य पूर्व में एक बार फिर भू-राजनीतिक तनाव बढ़ गया है। सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आ सकती है। इसके अलावा जोखिम मुक्त भावना के उभरने के बाद सोमवार को दुनियाभर के शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि सोमवार को कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर से शुरू होकर 90 डॉलर प्रति बैरल तक भी पहुंच सकती है।

अगर होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होता है तो कच्चे तेल की कीमत 130 डॉलर प्रति बैरल तक भी पहुंच सकती है। इसका मतलब है कि दुनिया के उन देशों को झटका लगेगा जो बड़ी मात्रा में कच्चे तेल का आयात करते हैं। जिसमें भारत का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। भारत अपनी जरूरत का 85 से 90 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। आइए आपको भी बताते हैं कि विशेषज्ञों ने किस तरह का अनुमान लगाया है।

कच्चे तेल की कीमत क्या हो सकती है? 

विशेषज्ञों का अनुमान है कि कच्चे तेल की कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल के आसपास खुलेंगी और संभावित रूप से 100 डॉलर से ऊपर जा सकती हैं, अगर होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होता है तो सबसे खराब स्थिति में कीमतें 130 डॉलर से ऊपर पहुंचने की उम्मीद है। जून में अब तक कच्चे तेल की कीमतें 24 फीसदी बढ़कर 77 डॉलर प्रति बैरल हो गई हैं। जबकि मई में कच्चे तेल की कीमतों में 4 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई थी। होर्मुज जलडमरूमध्य - एक रणनीतिक चोकपॉइंट जो वैश्विक तेल आपूर्ति का लगभग 20 प्रतिशत संभालता है - अब चिंता का कारण बन गया है। इसके पीछे एक कारण है। बाजार संभावित आपूर्ति व्यवधान की आशंका कर रहे हैं। एक्सिस सिक्योरिटीज के अक्षय चिंचालकर ने एक मीडिया रिपोर्ट में कहा कि ब्रेंट क्रूड पिछले तीन हफ्तों में बढ़ा है और सितंबर 2023 के 97 डॉलर के उच्च स्तर से एक प्रमुख ट्रेंडलाइन का परीक्षण कर रहा है। 

भारत पर भी दिख सकता है असर

कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर भारत पर भी देखने को मिल सकता है। भारत अपनी जरूरतों का 85 से 90 फीसदी आयात करता है। अगर कीमत बढ़ती है तो देश को कई आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। कच्चे तेल में 10 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से भारत का चालू खाता घाटा जीडीपी के 0.3 फीसदी तक बढ़ सकता है और मुद्रास्फीति का दबाव भी बढ़ सकता है। मुद्रा बाजार के जानकारों के मुताबिक सोमवार को डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में 50 से 75 पैसे की गिरावट आ सकती है। जिसका असर जीडीपी पर भी देखने को मिल सकता है। इसके अलावा सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में भी भारी दबाव देखने को मिल सकता है।

वर्तमान कीमत क्या है?

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 77 डॉलर प्रति बैरल पर बरकरार हैं। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक शुक्रवार को खाड़ी देशों से आने वाला कच्चा तेल 2 फीसदी से ज्यादा गिरकर 77.01 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। खास बात यह है कि पिछले एक महीने में कच्चे तेल की कीमतों में करीब 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। अगर जून की ही बात करें तो ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतों में करीब 21 फीसदी का इजाफा हुआ है। दूसरी ओर, शुक्रवार को अमेरिकी कच्चे तेल की कीमतें मामूली घटकर 75 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई हैं। हालांकि, पिछले एक महीने में अमेरिकी कच्चे तेल की कीमतों में करीब 22 फीसदी का इजाफा हुआ है। जबकि जून महीने में अमेरिकी कच्चे तेल की कीमतों में 23 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।