IAS अफसरों की नौकरी इतनी आसान नहीं होती छीनना, जानिए क्यों मंत्री भी नहीं कर सकते बर्खास्त

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India News Live,Digital Desk : भारत में सरकारी नौकरियों को ज़्यादा महत्व दिया जाता है। जबकि सरकारी नौकरियों में सैलरी प्राइवेट नौकरियों से कम होती है। लेकिन अगर जॉब सिक्योरिटी की बात करें तो यह कई गुना ज़्यादा होती है। आज के अनिश्चित समय में यही वजह है कि लोग जॉब सिक्योरिटी को देखते हुए सरकारी नौकरियों को ज़्यादा तरजीह देते हैं। अक्सर IAS अधिकारी जैसे उच्च सरकारी पदों पर बैठे लोग कुछ ऐसा ही करते हैं।

जो प्रशासन यानी सरकार को पसंद नहीं आता। ऐसे में आपने कई बार देखा होगा कि सरकार के मंत्री अफसरों को धमकाते हैं। तुम्हारी वर्दी उतरवा दूंगा, ये करूंगा, वो करूंगा। ऐसी बातें कहते हैं। लेकिन अक्सर ऐसा होता नहीं है। क्या वाकई एक आईएएस अधिकारी को नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जा सकता? जानिए इसका जवाब।

क्या किसी आईएएस अधिकारी को नौकरी से नहीं निकाला जा सकता?

भारत में सरकारी अधिकारियों के लिए अपना काम करना बहुत मुश्किल हो जाता है। जब प्रशासन उनके काम में अड़चनें डालता है। यह किसी से छिपा नहीं है। देश के लगभग सभी राज्यों में अक्सर कुछ ऐसे मामले सामने आते रहते हैं। जहां आईएएस अधिकारियों और सरकार के मंत्रियों के बीच बहस देखने को मिली है। आईएएस अधिकारियों को उनके काम को लेकर मंत्रियों द्वारा धमकाया और चेतावनी दी गई है। उन्हें बर्खास्त करने की बात भी कही गई है।

लेकिन आपको बता दें कि भारत में किसी भी आईएएस अधिकारी को बर्खास्त करना इतना आसान नहीं है। इन अधिकारियों की नियुक्ति सीधे केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। और इन्हें बर्खास्त करने के लिए एक सख्त और बहुत ही स्पष्ट प्रक्रिया निर्धारित की गई है। यही कारण है कि कोई भी मंत्री या मुख्यमंत्री किसी भी आरोप या व्यक्तिगत दुश्मनी के आधार पर किसी आईएएस अधिकारी को बर्खास्त नहीं कर सकता है।

एक आईएएस अधिकारी को कब और कैसे हटाया जा सकता है?

जैसा कि हमने आपको बताया, किसी आईएएस अधिकारी को बर्खास्त करने के लिए एक पूरी प्रक्रिया का पालन करना होता है। अगर किसी आईएएस अधिकारी पर गंभीर आरोप लगे हैं और वे आरोप उसके खिलाफ साबित हो जाते हैं, तो उसके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की जाती है। जांच के बाद केंद्र सरकार की सिफारिश पर उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है।

जिसके लिए कुछ मामलों में संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी, कार्मिक विभाग और राज्य सरकार की सहमति भी जरूरी होती है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान अधिकारी को अपना स्पष्टीकरण देने का भी पूरा मौका मिलता है। इसके बाद अंतिम निर्णय राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत किया जाता है। यानी यह कहा जा सकता है कि किसी आईएएस अधिकारी को उसके पद से हटाना कोई आसान काम नहीं है।