वाराणसी की महिलाएं बनीं आत्मनिर्भरता की मिसाल, आजीविका मिशन में फिर प्रदेश में नंबर-1
India News Live,Digital Desk : वाराणसी की महिलाएं घर की दहलीज से बाहर निकलकर न सिर्फ अपने परिवार की आय बढ़ा रही हैं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार भी दे रही हैं। दीनदयाल अंत्योदय योजना–राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए वाराणसी एक बार फिर प्रदेश में शीर्ष पर पहुंच गया है। अक्टूबर 2025 की रैंकिंग में जिले ने पहला स्थान हासिल किया है। खास बात यह है कि पिछले छह महीनों में वाराणसी चार बार प्रथम और दो बार टॉप-10 में शामिल रहा है।
37 पैमानों पर तैयार होती है रैंकिंग
मुख्य विकास अधिकारी प्रखर कुमार सिंह का कहना है कि राज्य स्तर पर 37 इंडिकेटर्स के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है। महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ने, उन्हें रिवॉल्विंग फंड देने, रोजगारोन्मुख गतिविधियों से जोड़ने, बैंक सखी और उद्यम सखी का चयन, ग्राम संगठन की प्रोफाइलिंग और आंतरिक ऋण उपलब्ध कराने जैसे क्षेत्रों में वाराणसी ने उत्कृष्ट कार्य किया है।
अनेक आजीविका गतिविधियों से बढ़ी महिलाओं की आमदनी
उपायुक्त (स्व-रोजगार) पवन कुमार सिंह के अनुसार, जिले के 11,879 समूहों में अब तक एक लाख 38 हजार से अधिक महिलाएं जुड़ चुकी हैं। ये महिलाएं कृषि, पशुपालन, सब्जी-फूलों की खेती, ग्रोसरी, बीसी सखी, विद्युत सखी, सिलाई-कढ़ाई, सिल्क साड़ियों का निर्माण, ब्यूटी पार्लर, टेक-होम राशन प्लांट, जूट बैग, काशी प्रेरणा कैफे जैसी गतिविधियों से आय अर्जित कर रही हैं। ड्रोन सखी जैसे आधुनिक विकल्प भी इन महिलाओं को नई पहचान दे रहे हैं।
सरकार दे रही नया बाजार और नए अवसर
सरस मेला, विभागीय प्रदर्शनियों, काशी प्रेरणा मार्ट और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए सरकार लगातार महिला समूहों के उत्पादों को बाजार उपलब्ध करा रही है। आजीविका मिशन और जिला प्रशासन मिलकर महिलाओं को बीमा सखी, मधुमक्खी पालन, मखाना की खेती, बकरी पालन आदि से जोड़ने के लिए नए प्रयास कर रहे हैं।
महिलाओं की बदलती कहानी
वित्तीय साक्षरता प्रशिक्षक अंजू देवी बताती हैं कि समूह से जुड़ने के बाद महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ा है और अब वे आसानी से बैंकिंग सेवाओं का उपयोग कर पा रही हैं।
महिला शक्ति स्वयं सहायता समूह की अमृता देवी कहती हैं कि पहले हुनर होने के बावजूद आर्थिक मजबूरियों के कारण महिलाएं आगे नहीं बढ़ पाती थीं, लेकिन सरकार की योजनाओं ने उन्हें नई उड़ान दी है।