The 'He-Man' of cinema is gone : धर्मेंद्र के निधन से बॉलीवुड शोक में, PM मोदी ने कहा– एक युग का अंत

Post

India News Live,Digital Desk : भारतीय फिल्म जगत से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। बॉलीवुड के सुपरस्टार और 'ही-मैन' धर्मेंद्र देओल का 89 साल की उम्र में निधन हो गया है। हिंदी सिनेमा में अपने दमदार अभिनय और अनोखे अंदाज से लाखों दिलों पर राज करने वाले इस दिग्गज अभिनेता के जाने से पूरा देश शोक में डूब गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट शेयर कर उन्हें श्रद्धांजलि दी है और उनके निधन को भारतीय सिनेमा के एक सुनहरे युग का अंत बताया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने शोक व्यक्त किया: "उनकी सादगी हमेशा याद रखी जाएगी"

धर्मेंद्र के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक भावुक संदेश लिखा है। पीएम मोदी ने लिखा, "धर्मेंद्र जी का निधन भारतीय सिनेमा में एक युग के अंत जैसा है। वह एक अद्भुत कलाकार और एक विशिष्ट व्यक्तित्व थे, जिन्होंने अपनी प्रत्येक भूमिका में एक अलग आकर्षण और गहराई जोड़ी। उनके द्वारा निभाए गए विविध किरदारों ने अनगिनत लोगों के दिलों को छुआ है। धर्मेंद्र जी अपनी सादगी, विनम्रता और गर्मजोशी के लिए हमेशा प्रशंसनीय रहेंगे। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार, दोस्तों और करोड़ों प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।"

स्वास्थ्य संबंधी संघर्ष: पिछले कुछ दिनों में स्वास्थ्य बिगड़ गया था

दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र लंबे समय से बढ़ती उम्र से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे थे। उन्हें खासकर सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। खबरों के मुताबिक, उन्हें नियमित जांच और इलाज के लिए मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कुछ सुधार होने के बाद, परिवार उन्हें घर ले आया और वहाँ उनकी देखभाल के लिए डॉक्टरों और एम्बुलेंस समेत विशेष व्यवस्था की गई थी। हालाँकि, तमाम कोशिशों के बावजूद, उनकी तबीयत बिगड़ती गई और आखिरकार उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी तबीयत की गंभीरता को देखते हुए सलमान खान, शाहरुख खान और गोविंदा जैसे बॉलीवुड सितारे भी उनसे मिलने गए थे।

6 दशकों का अद्भुत सफर

हिंदी सिनेमा में धर्मेंद्र का योगदान अविस्मरणीय है। उनका करियर लगभग 6 दशकों तक चला।

शुरुआत: उन्होंने 1960 में फिल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' से बॉलीवुड में डेब्यू किया।

यादगार फिल्में: इसके बाद उन्होंने 'शोले', 'फूल और पत्थर', 'हकीकत', 'अनुपमा', 'चुपके-चुपके', 'सीता और गीता' और 'धरम वीर' जैसी कई ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं।

सम्मान: कला के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान के लिए 2012 में भारत सरकार ने उन्हें देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया।