Ram-Sita Vivah in Margashirsha Month : 25 नवंबर 2025 को पवित्र मिलन की दिव्यता
- by Priyanka Tiwari
- 2025-11-21 21:30:00
India News Live,Digital Desk : मार्गशीर्ष मास का हर दिन भगवान राम और माता सीता के पवित्र मिलन की याद दिलाता है। 25 नवंबर 2025 को हम उस दिव्य क्षण को स्मरण करते हैं, जब त्रेता युग में भगवान श्रीराम और माता जानकी का विवाह संपन्न हुआ।
यह विवाह केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि सनातन धर्म में आदर्श दांपत्य, मर्यादा और सच्चे प्रेम का प्रतीक माना जाता है। यह प्रसंग हमें सद्भाव, निष्ठा और परिवार के प्रति समर्पण की प्रेरणा देता है।
शिवधनुष यज्ञ और श्रीराम का आगमन
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मिथिला नरेश महाराज जनक ने शिवधनुष यज्ञ का आयोजन किया था। नियम था कि जो भी भगवान शिव के पिनाक धनुष को उठाकर प्रत्यंचा चढ़ा देगा, वही सीता का वर होगा।
- कई राजकुमार प्रयास करने के बावजूद धनुष को हिला नहीं पाए।
- गुरु विश्वामित्र के साथ भगवान श्रीराम यज्ञस्थल पहुँचे।
- श्रीराम ने सहज रूप से धनुष उठाया और चढ़ाया, और धनुष टूट गया।
- इस ध्वनि ने पूरे ब्रह्मांड में गूँज पैदा की, और माता सीता ने श्रीराम को जीवनसाथी स्वीकार किया।
विवाह का प्रस्ताव और शुभ मुहूर्त
धनुष टूटने के बाद महाराज जनक ने गुरु विश्वामित्र और गुरु वशिष्ठ के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा।
- अयोध्या के राजपुरुषों और गुरुजनों की अनुमति से विवाह का पावन मुहूर्त निश्चित हुआ।
- पूरे मिथिला में दीपों की रौशनी, पुष्पवर्षा और मंगलगीतों के साथ विवाहोत्सव का उत्साह फैल गया।
अग्नि के समक्ष पवित्र मिलन
विवाह मंडप में:
- माता सीता ने श्रीराम के गले में जयमाला डालते हुए निष्ठा और प्रेम का संकल्प लिया।
- श्रीराम ने उनका सम्मान, संरक्षण और सुख देने का वचन दिया।
- अग्नि को साक्षी मानकर सप्तपदी ली और जीवनभर के लिए पवित्र बंधन में बंध गए।
यह मिलन आज भी भक्तों के लिए सच्चे प्रेम, मर्यादा और धर्मपरायण जीवन का उदाहरण है।