New Rent Rules in India 2025 : जानें मकान मालिक और किरायेदार के अधिकार और सुरक्षा
India News Live,Digital Desk : भारत सरकार ने देश की किराया व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी और सुव्यवस्थित बनाने के लिए "नया किराया समझौता 2025" लागू किया है। इन नए नियमों के तहत, अब मकान मालिक और किरायेदार के बीच हुए समझौते को उसके होने के 2 महीने के भीतर पंजीकृत कराना अनिवार्य कर दिया गया है। इस नियम का पालन न करने पर ₹5,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा, किरायेदारों को अचानक बेदखली के दबाव से छूट मिलेगी, जबकि मकान मालिकों के लिए टीडीएस छूट की सीमा बढ़ाकर ₹6 लाख प्रति वर्ष कर दी गई है।
बढ़ते विवाद और नए नियमों की आवश्यकता
रोज़गार और शिक्षा के लिए बड़े शहरों की ओर बढ़ते पलायन के कारण किराये के मकानों की माँग में ज़बरदस्त उछाल आया है। इसके साथ ही, मकान मालिकों और किरायेदारों के बीच विवाद भी आम बात हो गई है। कभी ज़मानत वापस नहीं मिलती, तो कभी बिना सूचना दिए मकान खाली करवा लिया जाता है - ऐसी शिकायतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने 'आदर्श किरायेदारी अधिनियम' (एमटीए) और बजट के प्रावधानों के आधार पर कड़े नियम बनाए हैं ।
1. पंजीकरण में देरी भारी पड़ेगी (₹5,000 जुर्माना)
अब तक, बहुत से लोग सिर्फ़ नोटरी से हस्ताक्षर और स्टाम्प लगवा लेते थे और पंजीकरण के प्रति उदासीन रहते थे। लेकिन नए नियमों ने इस खामी को दूर कर दिया है।
नया नियम: किराये के समझौते पर हस्ताक्षर करने के 2 महीने के भीतर उसे आधिकारिक रूप से पंजीकृत कराना अनिवार्य है।
प्रक्रिया: आप राज्य सरकार के ऑनलाइन पोर्टल या निकटतम उप-पंजीयक कार्यालय में जाकर पंजीकरण करा सकते हैं।
जुर्माना: यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर पंजीकरण नहीं कराया जाता है, तो ₹5,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इससे दोनों पक्षों को भविष्य में कानूनी उलझनों से बचाया जा सकेगा।
2. किरायेदारों के लिए सुरक्षा कवच
नये नियमों में किरायेदारों के हितों का विशेष ध्यान रखा गया है, ताकि मकान मालिक मनमानी न कर सकें।
सुरक्षा जमा: आवासीय संपत्तियों के लिए मकान मालिक अब अधिकतम 2 महीने का किराया सुरक्षा जमा के रूप में ले सकेंगे। जबकि व्यावसायिक संपत्तियों के लिए यह सीमा 6 महीने निर्धारित की गई है।
बेदखली नियम: मकान मालिक अब बिना उचित लिखित नोटिस दिए या कानूनी प्रक्रिया का पालन किए, किरायेदार को अचानक बेदखल नहीं कर सकता।
किराया वृद्धि: किराया बढ़ाने के लिए मकान मालिक को अनुबंध की शर्तों के अनुसार पूर्व सूचना देना अनिवार्य होगा।
3. गृहस्वामियों को भी काफी लाभ होगा।
ये नियम न केवल एकतरफा हैं, बल्कि इनमें मकान मालिकों को प्रोत्साहन देने के प्रावधान भी किए गए हैं।
टीडीएस में बड़ी राहत: मकान मालिकों के लिए सबसे अच्छी खबर टैक्स सेक्टर से है। किराये की आय पर टीडीएस कटौती की सीमा, जो पहले ₹2.4 लाख प्रति वर्ष थी, अब बढ़ाकर ₹6 लाख प्रति वर्ष कर दी गई है। इससे मकान मालिकों के हाथ में ज़्यादा पैसा आएगा।
फास्ट-ट्रैक कोर्ट: किराये के विवाद पहले अदालतों में सालों-साल अटके रहते थे। अब एक विशेष 'रेंट ट्रिब्यूनल' की स्थापना की जाएगी, जिसका लक्ष्य किसी भी विवाद का निपटारा सिर्फ़ 60 दिनों में करना होगा।
किराया न चुकाने के विरुद्ध सुरक्षा: यदि कोई किरायेदार लगातार 3 महीने या उससे अधिक समय तक किराया नहीं चुकाता है, तो न्यायाधिकरण शीघ्र न्याय प्रदान करके मकान मालिक को संपत्ति खाली करने में मदद करेगा।