Lahore lawyers' strike : पाकिस्तान के 27वें संविधान संशोधन को न्यायपालिका पर हमला बताया
India News Live,Digital Desk : पाकिस्तान के लाहौर में रविवार को वकीलों ने विवादित 27वें संविधान संशोधन के खिलाफ हड़ताल का ऐलान किया। उनका आरोप है कि इस संशोधन से सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को कमजोर किया गया है और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सीधा हमला हुआ है। वकीलों ने न्यायाधीशों से अपील की है कि वे इस संशोधन के विरोध में खुलकर सामने आएं और अपने पद से इस्तीफा दें।
बीते गुरुवार को राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने इस संशोधन पर हस्ताक्षर कर इसे कानून का रूप दे दिया। नए कानून में रक्षा बलों के प्रमुख के लिए एक नए पद के निर्माण के साथ-साथ एक संघीय संवैधानिक न्यायालय की स्थापना का प्रावधान शामिल है।
तीन वरिष्ठ जजों ने दिया इस्तीफा
अब तक तीन वरिष्ठ न्यायाधीश इस संशोधन के विरोध में पद छोड़ चुके हैं—
- सुप्रीम कोर्ट के जज सैयद मंसूर अली शाह
- सुप्रीम कोर्ट के जज अतहर मिनल्लाह
- लाहौर हाई कोर्ट के जज शम्स महमूद मिर्ज़ा
इन जजों ने इस संशोधन को संविधान और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया है।
वकीलों का रुख और चेतावनी
लाहौर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने इस्तीफा देने वाले जजों के फैसले की सराहना की है। एसोसिएशन ने सोमवार को अदालतों में कामकाज पूरी तरह ठप करने की चेतावनी दी है।
वकीलों ने कहा कि यह संशोधन न्यायपालिका की भूमिका सीमित करने की साजिश का हिस्सा है, इसलिए वे अदालतों की कार्यवाही का पूर्ण बहिष्कार करेंगे।
नए कानून के तहत:
- संविधान संबंधी मामलों की सुनवाई अब नए संघीय संवैधानिक न्यायालय में होगी।
- मौजूदा सुप्रीम कोर्ट केवल दीवानी और आपराधिक मामलों तक सीमित रह जाएगा।
- सुप्रीम कोर्ट की सबसे बड़ी शक्तियों में एक— स्वत: संज्ञान (Suo Motu)— नई अदालत को हस्तांतरित कर दी गई है।
यह बदलाव पाकिस्तान की न्यायिक व्यवस्था में एक बड़ा फेरबदल माना जा रहा है, जिससे वकील और कई जज नाराज हैं।