शनिवार का व्रत और नीलम पहनने का महत्व: मकर-कुंभ जातकों पर बरसती है शनिदेव की विशेष कृपा
India News Live,Digital Desk : सनातन परंपरा में शनिवार को न्याय के देवता शनिदेव की पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है। इसी दिन हनुमान जी की आराधना भी विशेष फलदायी मानी गई है। कई साधक अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए शनिवार का व्रत रखते हैं। मान्यता है कि इस व्रत से कुंडली में शनि मजबूत होता है और जीवन में आने वाली रुकावटें कम होती हैं।
ज्योतिष के अनुसार शनि की अनुकूलता बढ़ाने के लिए हनुमान जी और शनिदेव की उपासना के साथ नीलम रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। नीलम को शनि का प्रतिनिधि रत्न माना गया है। इसे धारण करने से साधक पर शनिदेव की कृपा बढ़ती है और कई प्रकार की बाधाओं का नाश होता है। विशेष रूप से दो राशियों के लिए नीलम अत्यंत शुभ बताया गया है।
नीलम पहनने का सही समय
ज्योतिषाचार्यों का मत है कि नीलम पहनने के लिए शनिवार का दिन सर्वश्रेष्ठ है। हालांकि इसे धारण करने से पहले किसी अनुभवी और ज्ञानी ज्योतिषी से सलाह लेना बेहद आवश्यक है, क्योंकि गलत परिस्थिति में नीलम पहनने से स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति और जीवन में समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।
यदि नीलम आपके लिए उपयुक्त है, तो शनिवार की संध्या के समय, पूजा के बाद इसे धारण किया जा सकता है।
किन राशियों के लिए नीलम शुभ है?
मकर और कुंभ राशि के स्वामी शनिदेव हैं और ये दोनों राशियाँ शनि के प्रभाव से संचालित होती हैं। मकर राशि में मंगल उच्च का माना जाता है, जिससे जातक में साहस और ऊर्जा बढ़ती है। इन्हीं दोनों राशियों के लिए नीलम रत्न बेहद शुभ माना गया है।
इसलिए यदि आपकी राशि मकर (Capricorn) या कुंभ (Aquarius) है, तो नीलम धारण करना आपके लिए शुभ फल दे सकता है।
नीलम रत्न के प्रमुख लाभ
ज्योतिष के अनुसार मकर और कुंभ राशि वालों के लिए नीलम कई तरह से लाभदायक है—
- कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होता है
- साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम होता है
- मानसिक तनाव और भय दूर होता है
- करियर और कारोबार में प्रगति मिलती है
- धन, सफलता और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है
- साधक की इच्छाएँ पूर्ण होने लगती हैं
यदि सही समय पर और सही विधि से नीलम धारण किया जाए, तो यह जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाने वाला अत्यंत शक्तिशाली रत्न है।