EPFO preparing to increase salary limit : अब ₹25,000 तक सैलरी वालों को भी अनिवार्य PF–Pension का लाभ
India News Live,Digital Desk : केंद्र सरकार और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए एक अहम फैसला लेने की तैयारी में हैं। खबरों के मुताबिक, अनिवार्य PF और पेंशन कटौती के लिए न्यूनतम वेतन सीमा मौजूदा ₹15,000 से बढ़ाकर ₹25,000 की जा सकती है। इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ाना है, जिससे देश के लगभग 1 करोड़ नए कर्मचारियों को लाभ मिलने की संभावना है। वित्तीय सेवा विभाग के सचिव ने भी इस बदलाव की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है।
वेतन सीमा में वृद्धि: ₹15,000 से ₹25,000
ईपीएफओ के मौजूदा नियमों के मुताबिक, जिन कर्मचारियों का मूल वेतन ₹15,000 तक है, उनके लिए ईपीएफ योजना में शामिल होना अनिवार्य है। पहले यह सीमा ₹6,500 थी, जिसे बढ़ाकर ₹15,000 कर दिया गया था। अब, बदलते समय और महंगाई को ध्यान में रखते हुए, सरकार इस सीमा को बढ़ाकर ₹25,000 करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। इस कदम से लाखों निम्न और मध्यम आय वर्ग के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के समय सुरक्षा कवच मिलेगा।
सरकारी अधिकारी ने क्या कहा?
मुंबई में एक कार्यक्रम में बोलते हुए, वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव एम. नागराजू ने मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, "यह एक गंभीर मामला है कि 15,000 रुपये से अधिक कमाने वाले कई लोग पेंशन कवरेज के बिना रह जाते हैं और बुढ़ापे में उन्हें अपने बच्चों या दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है।" उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ज़्यादा लोगों को पेंशन और सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिए पुरानी सीमाओं को अपडेट करना ज़रूरी है।
1 करोड़ कर्मचारियों को मिलेगा सुरक्षा कवर
श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि अगर वेतन सीमा में ₹10,000 की बढ़ोतरी की जाती है, तो लगभग 1 करोड़ (1 करोड़) अतिरिक्त कर्मचारी अनिवार्य ईपीएफ और ईपीएस कवरेज के दायरे में आ जाएँगे। मौजूदा नियमों के अनुसार, ₹15,000 से अधिक मूल वेतन वाले कर्मचारियों के लिए पीएफ कटौती वैकल्पिक है, जिसके कारण कई नियोक्ता उन्हें इसमें शामिल नहीं करते हैं। नतीजतन, लाखों शहरी निजी क्षेत्र के कर्मचारी बिना किसी औपचारिक सेवानिवृत्ति बचत के काम कर रहे हैं।
निर्णय कब लिया जाएगा?
मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) अगले साल की शुरुआत में इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर सकता है। ट्रेड यूनियनें भी लंबे समय से इस सुधार की मांग कर रही हैं, क्योंकि बढ़ती जीवन-यापन की लागत को देखते हुए मौजूदा सीमा बहुत कम है।
आपके वेतन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
इस परिवर्तन का कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों पर आर्थिक प्रभाव पड़ेगा:
कर्मचारियों के लिए: मासिक पीएफ अंशदान में वृद्धि होगी, जिसके कारण टेक होम सैलरी में थोड़ी कमी आ सकती है, लेकिन भविष्य के लिए पीएफ फंड और पेंशन राशि में बड़ी वृद्धि होगी।
नियोक्ताओं के लिए: वर्तमान में, नियोक्ता भी मूल वेतन का 12% योगदान करते हैं। वेतन सीमा बढ़ाने से कंपनियों की 'प्रति कर्मचारी लागत' बढ़ जाएगी, क्योंकि उन्हें बढ़े हुए वेतन पर पीएफ का भी योगदान करना होगा।