Entry of Spirituality in Human Life : देवशयनी एकादशी 2025 का महत्व और पालन विधि
- by Priyanka Tiwari
- 2025-06-29 03:53:00

India News Live,Digital Desk : आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है, जो सनातन धर्म में विशेष रूप से पूजनीय है। इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और चार महीनों तक सभी शुभ कार्यों पर विराम लग जाता है। इस एकादशी का व्रत करने से सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। आइए जानें इस पर्व की तारीख, व्रत मुहूर्त और उससे जुड़ी विशेष सावधानियां।
देवशयनी एकादशी 2025: तारीख व शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 5 जुलाई 2025, शाम 6:58 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 6 जुलाई 2025, रात 9:14 बजे
व्रत तिथि: 6 जुलाई 2025 (शनिवार)
व्रत पारण (उपवास समाप्ति) का समय:
तिथि: 7 जुलाई 2025
समय: प्रातः 5:29 बजे से 8:16 बजे तक
इस दौरान उपवास तोड़ना श्रेष्ठ माना गया है।
महत्वपूर्ण पंचांग विवरण:
सूर्योदय: 5:29 AM
सूर्यास्त: 7:23 PM
चन्द्रोदय: 3:38 PM
चंद्रास्त: 2:07 AM (अगले दिन)
ब्रह्म मुहूर्त: 4:08 AM – 4:48 AM
विजय मुहूर्त: 2:45 PM – 3:40 PM
गोधूलि मुहूर्त: 7:21 PM – 7:42 PM
निशिता मुहूर्त: 12:06 AM – 12:46 AM
देवशयनी एकादशी पर ध्यान रखने योग्य बातें:
तुलसी पत्ते न तोड़ें – ऐसा करना मां लक्ष्मी का अपमान माना जाता है।
काले वस्त्रों से बचें – यह रंग नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।
स्वच्छता बनाए रखें – घर और मन दोनों की पवित्रता ज़रूरी है।
विचारों की शुद्धता – दूसरों के प्रति गलत सोच रखने से व्रत का फल बाधित हो सकता है।
धार्मिक महत्व:
देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस अवधि को चातुर्मास कहते हैं, जो विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि मांगलिक कार्यों के लिए वर्जित माने जाते हैं। यह समय तप, साधना और भक्ति के लिए उपयुक्त माना जाता है।