Manoj Bajpayee's memories of Bhiku Mhatre : ‘सत्या’ के पीछे का सच
- by Priyanka Tiwari
- 2025-10-07 17:21:00
India News Live,Digital Desk : राम गोपाल वर्मा आज शायद बॉलीवुड में उतना सक्रिय न हों, लेकिन 90 के दशक में उनकी फिल्में देखने का उत्साह हर किसी के लिए अलग ही था। उन्हीं फिल्मों में से एक थी 1998 की क्राइम थ्रिलर ‘सत्या’, जिसमें मनोज बाजपेयी, उर्मिला मातोंडकर, जे. डी. चक्रवर्ती, परेश रावल और शैफाली शाह जैसे कलाकार थे।
इस फिल्म में मनोज बाजपेयी ने भीकू म्हात्रे का किरदार निभाया, जो आज भी लोगों के दिलों में जीवित है। फिल्म में मुख्य भूमिका जे. डी. चक्रवर्ती की थी, लेकिन मनोज ने अपनी एक्टिंग और परफॉरमेंस से पूरी फिल्म की लाइमलाइट अपने नाम कर ली।
अनुराग कश्यप और भीकू म्हात्रे का वो सीन
‘सत्या’ के को-राइटर और उस समय संघर्ष कर रहे अनुराग कश्यप ने साल 2020 में अपने इंस्टाग्राम पर शूटिंग की एक याद साझा की थी। उन्होंने बताया कि वह फिल्म के एक मशहूर सीन ‘मुंबई का किंग कौन’ के दौरान मनोज के पैर पकड़कर खड़े थे।
अनुराग ने लिखा,
"मुझे याद है कि इस सीन से पहले मनोज और मुझे ऊंचाई से डर लग रहा था। मैं ग्राउंड पर लेटा था और मनोज के पैर पकड़े हुए था। उनकी सांस चढ़ना, डर, और इमोशन सब कुछ असली था। गैंगस्टर बनने के लिए बाजु भाई को कितनी मेहनत करनी पड़ी थी।"
इस सीन के पीछे की मेहनत और डर ने भीकू म्हात्रे के किरदार को और भी असली और यादगार बना दिया।
‘सत्या’ की कहानी का सार
फिल्म की कहानी सत्या नाम के एक युवक पर केंद्रित है, जो नौकरी की तलाश में मुंबई आता है। उसे एक रेस्टोरेंट में काम मिलता है। लेकिन जल्द ही उसका सामना जग्गा नाम के गैंगस्टर से होता है।
जग्गा और उसके गुंडे सत्या पर दारू खरीदने का आरोप लगाते हैं और उसे जेल भेज देते हैं। वहीं, भीकू म्हात्रे, जो जग्गा की गैंग का हिस्सा है, सत्या से मिलता है। शुरू में दोनों आपस में टकराते हैं, लेकिन बाद में भीकू सत्या से प्रभावित होकर उसे अपनी गैंग में शामिल कर लेता है।
‘सत्या’ ने सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर नहीं, बल्कि भारतीय क्राइम फिल्मों के इतिहास में भी अपनी अलग पहचान बनाई। यह फिल्म आज भी क्राइम थ्रिलर के शौकीनों के लिए एक क्लासिक मानी जाती है।