DeepMind's new discovery : एआई अब देखेगा दुनिया को मानव जैसी दृष्टि से
India News Live,Digital Desk : कृत्रिम बुद्धिमत्ता अब केवल डेटा प्रोसेसिंग या टेक्स्ट समझने तक ही सीमित नहीं है।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता अब सिर्फ़ डेटा प्रोसेसिंग या टेक्स्ट समझने तक सीमित नहीं है। दुनिया की सबसे बड़ी कृत्रिम बुद्धिमत्ता अनुसंधान कंपनियों में से एक, गूगल डीपमाइंड, अब उस दिशा में काम कर रही है जिसे कई विशेषज्ञ "कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अगला विकास: मानव जैसी दृष्टि" कहते हैं। सवाल यह है: क्या कृत्रिम बुद्धिमत्ता सचमुच दुनिया को इंसानों की तरह देख सकती है? इसकी शुरुआत डीपमाइंड की एक नई खोज से हुई जो मशीनों की दृश्य धारणा को पूरी तरह से बदल सकती है।

डीपमाइंड के शोधकर्ता लंबे समय से इस बात पर काम कर रहे हैं कि मशीनें दृश्य जानकारी को इंसानों की तरह कैसे समझती हैं। जब इंसान किसी दृश्य को देखते हैं, तो वे सिर्फ़ छवि ही नहीं देखते; बल्कि गहराई, दूरी, रंग, पैटर्न, भावना और संदर्भ को मिलाकर किसी निष्कर्ष पर पहुँचते हैं। मशीनें पहले इस प्रक्रिया को काफ़ी अलग तरीके से करती थीं, लेकिन डीपमाइंड के नए मॉडल ने इस अंतर को पाटने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।

नई तकनीक का उद्देश्य एआई को मानव जैसी दृश्य धारणा प्रदान करना है। मॉडलों को एक ही वस्तु को विभिन्न कोणों, प्रकाश, दूरी और गति की स्थितियों में समझने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इससे एआई न केवल छवियों को देख पाएगा, बल्कि अंतर्निहित संदर्भ, पैटर्न और भविष्य की संभावनाओं को भी समझ पाएगा, ठीक वैसे ही जैसे हमारा मस्तिष्क करता है।

इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि एआई त्रुटियों को काफी कम कर सकेगा। उदाहरण के लिए, कई एआई प्रणालियाँ वर्तमान में हल्की सी परछाई, परावर्तन या कोण परिवर्तन होने पर भी वस्तुओं की गलत पहचान कर लेती हैं। हालाँकि, डीपमाइंड के मॉडल में मानवीय दृष्टि का लचीलापन है, जहाँ यह परिस्थितियों में बदलाव होने पर भी मूल जानकारी का सटीक अनुमान लगा सकता है।

अगर यह तकनीक पूरी तरह सफल होती है, तो सेल्फ-ड्राइविंग कारें, सुरक्षा प्रणालियाँ, हेल्थकेयर स्कैनिंग, रोबोटिक्स और एआर/वीआर नई ऊँचाइयों को छू सकते हैं। संक्षेप में, यह नवाचार मशीनों को न केवल "आँखें" दे सकता है, बल्कि बुद्धिमत्ता भी प्रदान कर सकता है।

हालांकि यह यात्रा अभी भी अपने प्रारंभिक चरण में है, लेकिन विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि मानव मस्तिष्क की संज्ञानात्मक क्षमताओं का पूरी तरह से अनुकरण करना कठिन है, लेकिन डीपमाइंड के निष्कर्ष दर्शाते हैं कि भविष्य में एआई और मानवीय धारणा के बीच का अंतर तेजी से कम हो जाएगा।