आपातकाल में उभरे नरेंद्र मोदी के संघर्ष की अनकही गाथा

India News Live,Digital Desk : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक यात्रा को समझने के लिए यदि किसी एक समय को निर्णायक कहा जाए, तो वह है आपातकाल का दौर। उस समय का प्रत्येक अनुभव, प्रत्येक चुनौती और संघर्ष ने मोदी के भीतर एक ऐसे नेता का निर्माण किया, जो न केवल विपरीत परिस्थितियों में अडिग रहता है, बल्कि संगठन निर्माण और जनसंवाद की बारीकियों को गहराई से समझता है।
‘द इमरजेंसी डायरिज: इयर्स दैट फोर्ज्ड ए लीडर’ नामक पुस्तक में इन तमाम पहलुओं को समेटा गया है, जिसका लोकार्पण केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया। इस पुस्तक में मोदी के उन साथियों के संस्मरण शामिल हैं, जिन्होंने आपातकाल के अंधेरे दौर में उन्हें एक युवा प्रचारक के रूप में कार्य करते देखा और उनके साथ जमीनी स्तर पर संघर्ष किया।
पुस्तक में उल्लेख है कि उस दौर में नरेंद्र मोदी पहचान छुपाकर एक संन्यासी के वेश में घूमते थे। कभी सिख, तो कभी किसी अन्य रूप में वे लोगों से मिलते, योजनाएं बनाते और संदेश पहुंचाते। उनके कुछ करीबी ही उनकी असली पहचान से वाकिफ थे। एक बार तो एक सिख ड्राइवर ने उनसे पंजाबी में बात करने की कोशिश की, लेकिन मोदी ने मुस्कराकर अपनी कमजोर पंजाबी के लिए माफी मांग ली और स्थिति को संभाल लिया।
मोदी केवल भूमिगत रहकर संगठन नहीं चला रहे थे, बल्कि अपने गिरफ्तार साथियों के परिवारों की भी चिंता कर रहे थे। उन्होंने आरएसएस के शुभचिंतकों से आर्थिक मदद जुटाकर उन परिवारों तक सहायता पहुंचाई। यह केवल रणनीति नहीं, मानवीय संवेदना का प्रमाण था।
आपातकाल के दौरान मोदी की संगठन क्षमता का एक और उदाहरण मिलता है – बैठकें केवल उन घरों में होती थीं जहां दो या अधिक निकास द्वार होते, ताकि छापे की स्थिति में सभी सुरक्षित निकल सकें। वे जानते थे कि केवल साहस से नहीं, बल्कि सूझबूझ से ही यह लड़ाई लड़ी जा सकती है।
सबसे बड़ी चुनौती थी प्रचार सामग्री तैयार करना और उसे लोगों तक पहुंचाना। डाक विभाग पर भरोसा करना मुश्किल था, इसलिए मोदी ने रेलवे नेटवर्क का उपयोग किया। ट्रेन के जरिए सामग्री को विभिन्न राज्यों में भेजा जाता, और यह सारा काम इतनी चतुराई से होता कि किसी को भनक तक नहीं लगती। यही नहीं, उन्होंने अपने साथियों का मनोबल भी ऊंचा बनाए रखा, जब कई कार्यकर्ता कांग्रेस में शामिल हो रहे थे, तो मोदी ने उन्हें न केवल रोका, बल्कि आपातकाल के खिलाफ सक्रिय किया।
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा द्वारा लिखी गई प्रस्तावना के साथ यह पुस्तक केवल एक ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं, बल्कि यह बताती है कि एक मजबूत नेता कैसे कठिन हालात में निखरता है। नरेंद्र मोदी का वह संघर्ष, नेतृत्व और धैर्य आज भी उनकी राजनीतिक पहचान का आधार है।