रामायण के वो भावुक पल, जिन्होंने हर दर्शक के दिल में घर कर लिया

India News Live, Digital Desk: रामानंद सागर की रामायण सिर्फ एक टीवी सीरियल नहीं थी, बल्कि वो एक ऐसा अनुभव था, जिसने करोड़ों लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ दिया। 1987 में जब इसे पहली बार दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था, तब इसने देश भर के लोगों की सोच और संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया। यही वजह है कि जब कोरोना महामारी के दौरान फिर से इसका प्रसारण हुआ, तो नए दर्शकों के साथ पुरानी यादें भी ताजा हो गईं।
इस शो ने न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से लोगों को जोड़ा, बल्कि इसके किरदारों ने दिलों में खास जगह बना ली। खासकर राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को दर्शकों ने भगवान का दर्जा दे दिया। आइए नजर डालते हैं रामायण के कुछ ऐसे दृश्यों पर, जो हर बार देखने पर भी आंखें नम कर देते हैं।
1. सीता का वनवास में राम के साथ जाने का निर्णय
जब राम को 14 वर्षों के लिए वनवास मिलता है, तो सीता बिना किसी हिचकिचाहट के उनके साथ जाने का निश्चय करती हैं। उनका यह त्याग और समर्पण आज भी लोगों की आंखें भर देता है। यह दृश्य पति-पत्नी के बीच अटूट प्रेम का प्रतीक बन चुका है।
2. भरत का खड़ाऊ लेकर अयोध्या लौटना
भरत जब राम को मनाने वन जाते हैं और राम के मना करने पर उनकी खड़ाऊ लेकर अयोध्या लौटते हैं, तो यह पल भाईचारे की मिसाल बन जाता है। वह खड़ाऊ अयोध्या की गद्दी पर रखकर भरत खुद एक संन्यासी जैसा जीवन जीते हैं – यह त्याग किसी को भी भावुक कर सकता है।
3. राम, सीता और लक्ष्मण की विदाई
राम, सीता और लक्ष्मण जब अयोध्या से वन के लिए रवाना होते हैं, तो पूरा महल रो पड़ता है। माता-पिता की आंखों का दर्द, भरत का दुख और पूरे राज्य का सूनापन – यह सब इतना जीवंत दिखाया गया है कि दर्शकों की आंखें भर आती हैं।
4. सीता की अग्नि परीक्षा
लंका विजय के बाद जब सीता को अग्नि परीक्षा देनी पड़ती है, तो उनकी खामोशी और आंखों में दर्द देख दर्शकों का दिल टूट जाता है। यह दृश्य आज भी लोगों को सोचने पर मजबूर कर देता है कि नारी को हर युग में क्यों खुद को साबित करना पड़ता है।
5. धरती में समा जाना – सीता का अंतिम निर्णय
सीता जब धरती मां से प्रार्थना करती हैं कि अब उन्हें शरण दी जाए, तो यह क्षण सबसे अधिक भावुक कर देने वाला होता है। धरती का फटना और सीता का उसमें समा जाना – यह दृश्य किसी भी संवेदनशील हृदय को झकझोर देता है।
रामायण केवल एक धार्मिक कथा नहीं, बल्कि भारतीय जीवन मूल्यों की जीती-जागती तस्वीर है। इसके भावनात्मक दृश्य हर पीढ़ी को कुछ न कुछ सिखा जाते हैं।