Stray dog crisis in Supreme Court : बच्चों और जनता की सुरक्षा पर बढ़ा विवाद
India News Live,Digital Desk : सुप्रीम कोर्ट में आवारा कुत्तों के मुद्दे पर फिर से सुनवाई हो रही है। पहले कोर्ट ने आदेश दिया था कि कुत्तों को सड़कों से हटाकर आश्रय गृहों में रखा जाए। इस बार, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि देश में इस समस्या से पीड़ित लोगों की संख्या बहुत अधिक है। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
तुषार मेहता ने कहा कि कोई भी कुत्तों से नफरत नहीं करता, लेकिन सभी कुत्तों को घर पर रखना संभव नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि बच्चे खुले स्थानों पर सुरक्षित रूप से नहीं खेल सकते। 2024 में देशभर में 37 लाख कुत्तों के काटने के मामले दर्ज हुए और 305 लोगों की मौत रेबीज़ से हुई, हालांकि WHO के मॉडल के अनुसार यह संख्या और भी अधिक हो सकती है।
वहीं, कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से पिछले आदेश पर रोक लगाने की मांग की। उनका कहना था कि बिना नोटिस या उचित प्रक्रिया के ऐसा आदेश उचित नहीं है। उन्होंने बताया कि शेल्टर होम पर्याप्त नहीं हैं, और कम जगह होने के कारण कुत्ते और भी खतरनाक हो सकते हैं। उन्होंने ‘प्रोजेक्ट काइंडनेस’ का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा कि नियमों का पालन सही तरीके से होना चाहिए।
एसजी मेहता ने यह भी जोर दिया कि नसबंदी या टीकाकरण से रेबीज़ पूरी तरह रोका नहीं जा सकता। उन्होंने अदालत से इस गंभीर समस्या का समाधान खोजने का आग्रह किया।
डॉ. सिंघवी ने एसजी पर पक्षपात का आरोप लगाया और कहा कि संसद में दिए गए उनके जवाब के अनुसार, रेबीज़ से मौत की जानकारी नहीं मिली। उन्होंने माना कि कुत्तों का काटना खतरनाक है, लेकिन स्थिति उतनी गंभीर नहीं है जितनी बताई जा रही है।
न्यायमूर्ति नाथ ने दिल्ली सरकार से नियमों के सही क्रियान्वयन पर सवाल किया और नगर निगम की निष्क्रियता पर भी ध्यान दिलाया। एक महिला वकील ने कहा कि बच्चे और बुजुर्ग सभी आवारा कुत्तों से परेशान हैं। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल अपना निर्णय सुरक्षित रखा है।