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US के टारगेट पर हैं खामेनेई, तैयार हो गया गद्दाफी पार्ट-2 का ब्लूप्रिंट?

US के टारगेट पर हैं खामेनेई, तैयार हो गया गद्दाफी पार्ट-2 का ब्लूप्रिंट?

डोनाल्ड ट्रंप, अली खामेनेई

परमाणु कार्यक्रम पर ईरान और अमेरिका के बीच जंग की आशंकाएं भड़क रही हैं, लेकिन अगर वार्ता से बात नहीं बनी तो अमेरिका ईरान से सीधी जंग नहीं लड़ेगा. इस जंग का ब्लूप्रिंट 6-7 अप्रैल को वाशिंगटन में तैयार हो चुका है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान को लीबिया की तरह बर्बाद करने का प्लान बनाया है. फिलहाल ईरान पर डिप्लोमेटिक और सामरिक दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन इस प्लान को धरातल पर उतारने का काम भी शुरू हो चुका है. आइए बताते हैं कि कैसे ट्रंप और नेतन्याहू ने खामेनेई शासन के अंत का ब्लूप्रिंट तैयार किया है.

ईरान के अलग-अलग इलाकों में कई विद्रोही गुट सक्रिय हैं. इनमें पहला है MEK, इसे पीपल्स मुजाहिदीन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ ईरान के नाम से भी जाना जाता है. 1979 की क्रांति में MEK संगठन IRGC के साथ था. IRGC के मतभेद के बाद 1980 की जंग में इसने इराक का साथ दिया. साल 2000 में ऑपरेशन बहमन के तहत इसने ईरानी सुप्रीम लीडर के दफ्तर पर मोर्टार हमला किया था.

दूसरा गुट है PDKI जिसे दि डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ ईरानियन कुर्दिस्तान कहा जाता है. ये ईरानी सत्ता के खिलाफ हथियार उठाने वाला कुर्दिश गुट है. तीसरा गुट है PJAK जिसे कुर्दिस्तान फ्री लाइफ पार्टी कहा जाता है. कुर्दिस्तान और करमेनशाह में ये गुट सरकारी संस्थानों पर हमले करता रहता है. चौथा गुट है जैश अल अद्ल, ये बलोच गुट 2012 में शुरू हुआ था. बलोच विद्रोहियों का सबसे बड़ा गुट फिलहाल यही है. इस गुट का मुखिया अब्दुल मलिक मुल्लाजादेह है.

ईरान को परमाणु बम नहीं बनाने देंगे- US

पांचवां गुट है अहवाजी अरब ग्रुप्स, ये गुट खुजेस्तान प्रांत को ईरान से आजाद कराना चाहता है. छठवां गुट है ASMLA, ये ईरान में अरबिस्तान की स्थापना के लिए हथियार उठाने वाला गुट है. इन विद्रोही गुटों को ईरान के साथ जंग के लिए तैयार किया जा रहा है, हालांकि इससे पहले ईरान को बातचीत की मेज पर लाने की कोशिश है, लेकिन अमेरिका से बात शुरू करने से पहले ईरान अपने सहयोगी देशों से चर्चा कर रहा है.

8 अप्रैल को मॉस्को में ईरान-चीन और रूस के बीच चर्चा हुई. इसमें अमेरिका-ईरान की न्यूक्लियर डील पर तीनों देशों के प्रतिनिधियों ने अपनी राय रखी. ट्रंप साफ कह चुके हैं कि वो ईरान को परमाणु बम नहीं बनाने देंगे. परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए अमेरिका पहले चरण में ईरान के परमाणु ठिकानों पर मिसाइल हमले और बमबारी कर सकता है इसीलिए ईरान ने डिफेंस लाइन तैयार करनी शुरू कर दी है.

ईरान ने की गादिर रडार सिस्टम की तैनाती

ईरान ने इराक से आर्मीनिया की सीमा तक और फारस की खाड़ी की तटरेखा पर गादिर रडार सिस्टम की तैनाती कर दिए हैं. गादिर छोटे एयरक्राफ्ट से लेकर मिसाइलों तक को लंबी दूरी से ट्रेस कर सकता है. ईरान ने इजराइल और लाल सागर से होने वाले हमले रोकने के लिए इसकी तैनाती की है. अमेरिका और इजराइल बखूबी जानते हैं कि ईरान में ग्राउंड ऑपरेशन चलाना नामुमकिन है और ईरान दोनों देशों को हमलों को हवा में नाकाम कर सकता है. इसलिए ईरान में विद्रोह भड़काने का प्रबंध किया गया है और इसके लिए विद्रोही संगठनों को हथियार दिए जा रहे हैं.

इन गुटों को ईरान विरोधी कई देशों का समर्थन मिल रहा है, जैसे MEK को इजराइल और US का समर्थन है, फंड और हथियार इन्हीं दोनों देशों से दिए जा रहे हैं. PJAK को भी इजराइल और US से ही फंड और हथियार दिए जा रहे हैं ताकि तेहरान के खिलाफ विद्रोह की रणनीति को जमीन पर उतारा जा सके. बलोच गुट जैश-अल-अद्ल को ईरान में सक्रिय रहने के लिए पाकिस्तान का समर्थन मिलता है, साथ में अमेरिका भी पाकिस्तान के जरिए इस गुट को हथियार दे रहा है.

इन दो गुटों को मिल रहा सऊदी का समर्थन

ASMLA और अहवाजी अरब ग्रुप्स को सऊदी अरब और UAE का समर्थन मिल रहा है क्योंकि ये अरब मूल के हैं और सऊदी ईरान से हूती का बदला इन्हीं गुटों के जरिए लेना चाहता है. अगर अमेरिका और इजराइल की रणनीति कामयाब रहती है तो ईरान में खामेनेई का तख्तापलट कराकर गद्दाफी की तरह उनकी हत्या कराई जा सकती है. इसके बाद ईरान में अमेरिका के समर्थन वाली सरकार बनाई जा सकती है.

ईरान से निर्वासित शाही परिवार के वारिस अमेरिका में ही रहते हैं. ईरान के क्राउन प्रिंस मोहम्मद रेजा पहलवी भी अमेरिका के इस प्लान के समर्थक हैं और ईरानी शासन की बागडोर हासिल करना चाहते हैं इसलिए बेंजामिन और ट्रंप ने लीबिया ब्लूप्रिंट ईरान में लागू करने की तैयारी की है ताकि ईरान से बढ़ रहे खतरे को खत्म किया जा सके.

ब्यूरो रिपोर्ट, TV9 भारतवर्ष

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