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Success Story : चाचा भतीजे ने खड़ा कर दिया 13 लाख करोड़ रुपये का बैंक, ऐसे मिलती गई सफलता

Success Story : चाचा भतीजे ने खड़ा कर दिया 13 लाख करोड़ रुपये का बैंक, ऐसे मिलती गई सफलता

HR Breaking News, Digital Desk – बैंकिंग इंडस्ट्री में कामयाबी (Success in banking industry) की ये कहानी हसमुख ठाकोरदास पारेख और दीपक पारेख की है…ये दोनों नाम भारतीय बैंकिंग इंडस्ट्री (Indian Banking Industry) में बहुत हैसियत रखते हैं। 

चाचा और भतीजे की इस जोड़ी ने मिलकर देश का सबसे बड़ा बैंक खड़ा कर दिया और वो भी प्राइवेट बैंक। हसमुख ठाकोरदास पारेख (Hasmukh Thakordas Parekh) ने 66 साल की उम्र में बैंकिंग (latest bank news)  इंडस्ट्री में कुछ बड़ा करने का सपना देखा और उसके लिए जी तोड़ संघर्ष किया। हसमुख ठाकोरदास की मेहनत का नतीजा अब 12 लाख करोड़ से ज्यादा है। 
इस बेहतरीन कामयाबी में हसमुख ठाकोरदास का साथ दिया उनके भतीजे दीपक पारेख ने। हसमुख ठाकोरदास ने एचडीएफसी लिमिटेड की नींव रखी तो कुछ सालों बाद दीपक पारेख भी अपने चाचा के साथ हो लिए।

हसमुख ठाकोरदास अब भले ही हमारे बीच नहीं है लेकिन उनका बैंक आज करोड़ों भारतीयों के सपनों को पूरा कर रहा है। हसमुख ठाकोरदास पारेख ने साल 1977 में एचडीएफसी लिमिटेड की स्थापना की। हालांकि, उस वक्त एचडीएफसी लिमिटेड की शुरुआत एक होम लोन फाइनेंस कंपनी के तौर पर हुई। एचडीएफसी लिमिटेड के फाउंडर और चेयरमैन (Founder and Chairman of HDFC Limited) हसमुख ठाकोरदास पारेख का सपना था कि भारत के करोड़ों मीडिल क्लास फैमिली के पास अपना घर हो और इस सपने के लिए उन्हें सालों तक इंतजार न करना पड़े। बस आम आदमी के इसी सपने को साकार करने के लिए हसमुख ठाकोरदास पारेख ने बिना किसी सरकारी मदद के एचडीएफसी लिमिटेड की स्थापना की।

लेक्चरर के तौर पर शुरू किया करियर

बैंकिंग सर्विस की समझ हसमुख ठाकोरदास पारेख को उनके पिता से मिली थी। मुंबई से ग्रेजुएशन करने के बाद हायर एजुकेशन के लिए वे लंदन चले गए। फिर भारत लौटकर उन्होंने अपने बैंकिंग करियर की शुरुआत की और भारत के सबसे बड़े बैंक HDFC बैंक की नींव रखी। मुंबई से पढ़ाई पूरी करने के बाद हसमुख ठाकोरदास पारेख ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से बैंकिंग और फाइनेंस में बीएससी की डिग्री हासिल की। इसके बाद हसमुख पारेख भारत लौट आए। शुरुआत में उन्होंने मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज में लेक्चरर के तौर पर काम किया।

रिटायरमेंट के बाद आया ख्याल

इसके बाद वे स्टॉक ब्रोकिंग फर्म से जुड़े और यहां से उन्होंने फाइनेंशियल मार्केट में अपने करियर की शुरुआत की। फिर वे आईसीआईसीआई बैंक से जुड़े, यहां 16 साल के करियर के बाद हसमुख ठाकोरदास पारेख चेयरमैन और प्रबंध निदेशक तक पहुंचे। हैरानी बात है कि 66 साल की उम्र में जब रिटायरमेंट के बाद हसमुख भाई ने एचडीएफसी लिमिटेड की स्थापना की। उन्होंने 1977 में एक फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के रूप में एचडीएफसी लिमिटेड की शुरुआत (Launch of HDFC Limited) की और 1978 में पहला होम लोन दिया।

चाचा हसमुख को मिला भतीजे दीपक का साथ

एचडीएफसी बैंक की कामयाबी कहानी, दीपक पारेख के बिना अधूरी है। क्योंकि, उन्होंने हसमुख ठाकोरदास पारेख के इस बैंकिंग बिजनेस में साथ दिया। दीपक पारेख भी चाचा हसमुख ठाकोरदास पारेख की तरह पढ़ाई करने के लिए विदेश चले गए। वह न्यूयॉर्क में इन्वेस्टमेंट बैंकर बन गए। लेकिन, चाचा हसमुख ठाकोरदास पारेख के कहने पर वे भारत आ गए। उन्होंने चाचा हसमुख ठाकोरदास पारेख के साथ मिलकर एचडीएफसी लिमिटेड के बिजनेस को आगे बढ़ाया।

साल 1994 में एचडीएफसी को बैंकिंग लाइसेंस मिला और 1995 से एचडीएफसी बैंक ने काम करना शुरू किया। 4 अप्रैल 2022 को भारत की सबसे बड़ी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी, एचडीएफसी लिमिटेड का HDFC bank के साथ मर्जर हो गया। इसके बाद यह बाजार पूंजीकरण (12 लाख करोड़ से ज्यादा) के लिहाज से देश का सबसे बड़ा बैंक बन गया।

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