
सुचीर बालाजी
भारतीय मूल के रिसर्चर सुचीर बालाजी को अमेरिका में 26 नवंबर को मृत पाया गया. सुचीर (26) चैटजीपीटी (ChatGPT) डेवलप करने वाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी OpenAI के पूर्व रिसर्चर रहे. सुचीर की मौत को आत्महत्या मान लिया गया था, इसी के बाद अब इस केस में एक नया एंगल सामने आया है. सुचीर के पेरेंट्स ने दावा किया है कि उसको सिर में दो बार गोली मारी गई थी.
सुचिर बालाजी की मौत के चार महीने बाद उसके माता-पिता ने कहा कि ओपनएआई व्हिसलब्लोअर को सिर में दो बार गोली मारी गई थी और आधिकारिक ऑटोप्सी (autopsy) में अहम सबूत गायब हो गए.
मौत को माना गया था आत्महत्या
ओपनएआई के चैटजीपीटी के ट्रेनिंग के तरीकों पर सवाल उठाने के ठीक एक महीने बाद, सुचीर बालाजी को 26 नवंबर, 2024 को अपने सैन फ्रांसिस्को अपार्टमेंट में मृत पाया गया था. उस समय माना गया था कि एक ही गोली से उन्होंने सुसाइड को अंजाम दिया है, लेकिन डेली मेल की एक नई रिपोर्ट और उनके परिवार के दावों के अनुसार, उस रिपोर्ट में प्रमुख फोरेंसिक विवरणों को नजरअंदाज किया गया हो सकता है.
पेरेंट्स ने किए बड़े दावे
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, सुचीर बालाजी के पेरेंट्स ने दो गनशॉट के निशान देखे हैं. इनमें से कोई भी तुरंत घातक नहीं लगा. डॉ. डैनियल कजिन ने दूसरी ऑटोप्सी की इस में यह सामने आया कि एक और गोली बालाजी के मुंह के जरिए से अंदर गई थी और उनकी खोपड़ी के बेस में फंस गई थी.
इस केस की गुत्थी उलझती जा रही है. बालाजी के मृत मिलने के 4 महीने बाद उनके पेरेंट्स ने दावा किया है कि बालाजी की जीभ पर भी चोट के निशान है और इन चोट के निशान पहले गनशॉट से मेल नहीं खाती. रिपोर्ट में कहा गया है कि जीभ के किनारों पर घाव और है.
मां ने उठाए कई गंभीर सवाल
बालाजी की मां पूर्णिमा रामाराव ने ऑटप्सी को लेकर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि बालाजी के गाल की हड्डी भी टूटी हुई थी और सिर के किनारे पर भी एक घाव था, जिनमें से किसी का भी ओरिजिनल मेडिकल एग्जामिनर रिपोर्ट में उल्लेख नहीं किया गया था. बालाजी की मां ने सवाल उठाते हुए कहा, उसके घुटने पर खून और घाव क्यों है? सिर पर चोट क्यों है? जीभ क्यों फटी हुई है?” “बाथरूम के बाहर खून क्यों है, जहां अपराध हुआ था? शरीर में डेट रेप की दवा क्यों पाई गई?”
बालाजी के परिवार ने इस केस को लेकर कहा कि इसमें आत्महत्या करने के कोई लक्षण नहीं दिखे हैं. उनके अनुसार, उन्हें नौकरी के प्रस्ताव मिल रहे थे और उनकी मृत्यु के बाद के हफ्तों में अकादमिक सम्मेलनों में बोलने का कार्यक्रम था.