
The Chopal, Property possession : कानून में प्रोपर्टी पर अधिकारों की तरह ही प्रोपर्टी से कब्जा छुड़ाने के नियम हैं। किसी प्रोपर्टी मालिक को अपनी संपत्ति को बिना किसी विवाद के अपने मालिक से छुड़वाने का अधिकार है।
प्रोपर्टी मालिक आसानी से संपत्ति विवाद से छुटकारा पा सकता है, अगर वे कुछ विशिष्ट कदम उठाते हैं। कब्जा बहुत आसान है (How to remove illegal possession)। यही नहीं, प्रशासन खुद आपकी मदद करेगा और आप कोर्ट कचहरी के चक्कर से बच जाएंगे। आइये जानते हैं कि आपको क्या करना होगा।
ऐसे कानून की मदद लें—
अगर कोई आपकी संपत्ति पर कब्जा कर लेता है, तो पीड़ित व्यक्ति को सिविल और आपराधिक दोनों तरह के मुकदमे लगाए जा सकते हैं। प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे को हटाने के लिए कानूनों की मदद कोई भी प्रोपर्टी मालिक ले सकता है; इसके लिए उसे प्रोपर्टी संबंधी सभी आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने की आवश्यकता होगी। कब्जा छुड़ाने, या जेमी पर कब्जा, के चार कानूनी सिद्धांतों को भी जानना महत्वपूर्ण है। ये सिविल और आपराधिक कानूनों के तहत आते हैं। इसके बाद आप बंदूकधारी के खिलाफ कोर्ट में जाएंगे।
धारा 420 का प्रावधान
धारा 420 के तहस केस दर्ज किए जा सकते हैं जब किसी व्यक्ति को जमीनी मामले में धोखाधड़ी की गई हो या बल प्रयोग से उसकी संपत्ति से हटाया गया हो। किसी प्रोपर्टी मालिक (property owner) के अधिकारों का अधिग्रहण होने पर पहला कदम उठाना चाहिए।
आईपीसी की धारा 406 क्या कहती है?
धारा 406 का उपयोग उस समय करें जब कोई व्यक्ति विश्वास पात्र बनकर संपत्ति, या संपत्ति के दस्तावेजों को चुरा लेता है। प्रोपर्टी मालिक आपराधिक मामला दर्ज करवा सकता है क्योंकि यह संगीन अपराध माना जाता है। पीड़ित इस खंड के तहत थाने में कब्जाधारी (property encroachment) की शिकायत कर सकता है।
धारा 467 कहती है:
धारा 467 लागू होती है अगर कोई संपत्ति हथियाई जाती है या फर्जी दस्तावेज बनाए जाते हैं। इसमें साजिश के तहत फर्जी दस्तावेज बनाकर किसी की संपत्ति पर कब्जा करने का मामला दर्ज किया गया है।
स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट के तहत सहायता प्राप्त करें—
स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट सिविल कानून में गिना जाता है। इस कानून की मदद ली जा सकती है जब कोई व्यक्ति किसी की संपत्ति पर जबरदस्ती कब्जा करता है। पीड़ित को स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट की धारा 6 के तहत त्वरित न्याय मिल सकता है। इस कानून के अनुसार कब्जा करने के छह महीने के भीतर मुकदमा दर्ज होना चाहिए। इसके बावजूद, इस कानून के तहत सरकार के खिलाफ कोई मुकदमा या मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।