तेज रफ्तार में भी पटरी पर कैसे टिकती है ट्रेन? जानिए इसके पीछे की तकनीक

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India News Live,Digital Desk : भारतीय रेलवे दुनिया का एक बड़ा और जटिल रेल नेटवर्क है, जिसमें हर दिन लाखों लोग सफर करते हैं। आपने भी कई बार लंबी दूरी की यात्रा ट्रेन से कुछ ही घंटों में पूरी की होगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब ट्रेन इतनी तेज दौड़ती है, तो वह पटरी से उतरती क्यों नहीं? इसका जवाब छिपा है पहियों की बनावट, पटरियों की सटीकता और इंजीनियरिंग के बेजोड़ फॉर्मूलों में।

ट्रेन के पहिए कैसे बनाए जाते हैं?

ट्रेन के पहिए आम पहियों जैसे सपाट नहीं होते। ये खास कोनिकल (शंकु जैसे) आकार में डिजाइन किए जाते हैं। अंदर की तरफ मोटे और बाहर की तरफ पतले। यह ढलान ट्रेन को संतुलन में रखने का कमाल करता है।

जब ट्रेन किसी मोड़ या झटके से एक तरफ झुकती है, तो पहिए अपने आप एडजस्ट हो जाते हैं। एक पहिया ऊपर चढ़ता है और दूसरा नीचे आता है, जिससे ट्रेन वापस अपने ट्रैक के बीचोंबीच आ जाती है। यह सब बिना किसी इलेक्ट्रॉनिक्स के, सिर्फ गुरुत्वाकर्षण और पहियों की डिजाइन से मुमकिन होता है।

फ्लैंज: पहियों का सुरक्षा प्रहरी

हर ट्रेन पहिए में अंदर की ओर एक उभरा हुआ किनारा होता है, जिसे फ्लैंज कहते हैं। यह फ्लैंज ट्रेन को सुरक्षा देता है। अगर कभी ट्रेन जरूरत से ज्यादा एक तरफ खिसकती है, तो ये फ्लैंज पटरी की अंदरूनी दीवार से टकराकर उसे वापस ट्रैक पर ला देता है।

पटरियों की मजबूती भी ज़रूरी

ट्रेन की पटरियां सिर्फ लोहे की पट्टियाँ नहीं होतीं। ये मजबूती से लकड़ी या कंक्रीट के स्लीपर्स से जुड़ी होती हैं। इन्हें इतनी सावधानी से बिछाया जाता है कि दोनों रेल लाइनों के बीच दूरी बिल्कुल सटीक बनी रहे। तभी पहिए सही ढंग से इन पर टिके रहते हैं।

ट्रेन का वज़न भी निभाता है भूमिका

ट्रेनें बहुत भारी होती हैं। यह भारी वजन खुद-ब-खुद पहियों को पटरियों पर कसकर टिकाए रखता है, जिससे ट्रेन के पटरी से उछलने की संभावना बेहद कम हो जाती है।