CBDC से आसान और सुरक्षित ट्रांजैक्शन, सरकार ने उठाया बड़ा कदम

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India News Live,Digital Desk : केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को घोषणा की कि सरकार RBI समर्थित डिजिटल करेंसी पर विचार कर रही है। उन्होंने साफ किया कि सरकार निजी क्रिप्टोकरेंसी का समर्थन नहीं करती, खासकर उन टोकन्स का जिनके पास कोई वास्तविक संपत्ति बैकिंग नहीं होती।

RBI-गैरंटीड डिजिटल करेंसी पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम से अलग होगी। इसका उद्देश्य लेन-देन को तेज़, आसान और ट्रेस करने योग्य बनाना है, साथ ही कागजी लेन-देन को भी कम करना है। मंत्री ने यह भी कहा कि बिना बैकिंग वाली क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं है, लेकिन उन पर भारी टैक्स लगाया गया है, ताकि उपयोग नियंत्रित रहे और यूजर्स को अनावश्यक जोखिम न उठाना पड़े।

CBDC से वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता और सुरक्षा

दोहा में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान, वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने बताया कि यह कदम वित्तीय स्थिरता और सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए उठाया गया है। उन्होंने कहा,

"हम नहीं चाहते कि कोई ऐसी क्रिप्टो में फंसे जिसका कोई भरोसेमंद बैकिंग न हो।"

Chainalysis 2025 ग्लोबल एडॉप्शन इंडेक्स के अनुसार, भारत, पाकिस्तान और वियतनाम उन देशों में शामिल हैं जिनमें क्रिप्टो एक्टिविटी सबसे ज्यादा है। एशिया-पैसिफिक में लेन-देन वॉल्यूम $1.4 ट्रिलियन से बढ़कर $2.36 ट्रिलियन तक पहुँच गया है।

विशेषज्ञों की राय: सरकार की सख्त निगरानी

क्रिप्टो इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह कदम सरकार की कड़ी रेगुलेटरी निगरानी को दर्शाता है। इंडिया ब्लॉकचेन अलायंस के फाउंडर और CEO राज कपूर ने बताया कि यह कदम RBI की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को फिनटेक रणनीति का अहम हिस्सा बनाने की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।

कपूर ने यह भी कहा कि RBI-बैक्ड टोकन का मुख्य उद्देश्य बिना बैकिंग वाली स्पेकुलेटिव क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करना है। यह टोकन न केवल सुरक्षा सुनिश्चित करेगा बल्कि वैधता भी प्रदान करेगा।

डिजिटल मनी का नया चेहरा

एमरजिंग पेमेंट्स एसोसिएशन एशिया की चीफ एक्सपैंशन ऑफिसर मोनिका जसूजा ने भी इस पहल का समर्थन किया। उन्होंने कहा,

"भारत जिम्मेदारी के साथ इनोवेशन चाहता है। डिजिटल मनी का अगला दौर सीमाहीन नहीं, बल्कि संप्रभु होगा।"

RBI पहले ही डिजिटल रुपया को रिटेल और होलसेल मार्केट दोनों में एक्सप्लोर कर चुका है। इसका उद्देश्य निवेशकों को कम्प्लायंस-फ्रेंडली प्रोजेक्ट्स की ओर मोड़ना है।

चुनौतियां और भविष्य

हालांकि चुनौतियां बनी हुई हैं। रेगुलेटरी अनिश्चितता के कारण देश का 80-85% क्रिप्टो टैलेंट विदेश जा चुका है। प्राइवेट क्रिप्टो फ्रेमवर्क अब भी अस्पष्ट हैं। कपूर ने प्राइवेसी, निगरानी और टोकन जारीकर्ताओं के बीच प्रतिस्पर्धा को लेकर चिंता जताई।

उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार विदेशी स्टेबलकॉइन्स या क्रॉस-बॉर्डर टोकन फ्लो को कैसे मैनेज करेगी, जो एसेट-बैक्ड मानकों पर खरे नहीं उतरते। उनका कहना है कि सुरक्षा और इनोवेशन के बीच संतुलन बनाए रखना आज की डिजिटल इकॉनमी में जरूरी है।