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7 महीने से जिस देश को किसी ने नहीं दिया भाव वहां पहुंचे PM मोदी, क्यों अहम है ये दौरा?

7 महीने से जिस देश को किसी ने नहीं दिया भाव वहां पहुंचे PM मोदी, क्यों अहम है ये दौरा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार शाम (4 अप्रैल) को श्रीलंका के तीन दिवसीय दौरे पर कोलंबो पहुंचे. पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिता हेराथ, स्वास्थ्य मंत्री नलिंदा जयतिस्सा और मत्स्य पालन मंत्री रामलिंगम चंद्रशेखर एयरपोर्ट पर मौजूद रहे. पीएम मोदी की यात्रा का उद्देश्य समग्र द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के तरीके तलाशना है. पिछले 7 महीनों में किसी विदेशी नेता का ये पहला श्रीलंका दौरा है.

पीएम मोदी आखिरी बार 2019 में श्रीलंका दौरे पर गए थे और 2015 के बाद से यह द्वीप राष्ट्र की उनकी चौथी यात्रा है. प्रधानमंत्री का ये दौरा कई मायनों में बेहद खास है. भारत और श्रीलंका के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ ऊर्जा, व्यापार और कनेक्टिविटी में सहयोग बढ़ाने के लिए है.

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क्यों खास है पीएम मोदी का श्रीलंका दौरा?

पीएम मोदी की श्रीलंका यात्रा का उद्देश्य द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को बढ़ाना और ऊर्जा, व्यापार और संपर्क क्षेत्रों में साझेदारी को मजबूत करना है. पीएम मोदी और राष्ट्रपति दिसानायका के बीच हाल ही में हुई चर्चाओं के बाद दोनों नेताओं की तरफ से एक महत्वपूर्ण रक्षा सहयोग समझौते को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है. इस दौरान भारत और श्रीलंका में 10 क्षेत्रों में समझौते होने की उम्मीद है.

इनमें खासतौर से रक्षा समझौते पर सबकी नजर है. इसके पीछे की वजह है कि भारत और श्रीलंका के बीच पहली बार रक्षा समझौता होने जा रहा है. यही कारण है पूरी दुनिया की निगाहें दोनों के बीच होने वाली डील पर टिकी हुई है.

श्रीलंका दौरे की चीन भी बना वजह

हंबनटोटा, हिंद महासागर के महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों के पास स्थित है. ये बंदरगाह दुनिया के सबसे व्यस्त बंदरगाहों में से एक है. 150 करोड़ डॉलर की लागत से बनाए गए हंबनटोटा बंदरगाह का निर्माण चीन से कर्ज लेकर किया गया था. लेकिन कर्ज चुकाने में नाकाम होने के बाद, श्रीलंका ने इसे 99 साल के लीज पर चीन को सौंप दिया. यह वही बंदरगाह है जिसे चीन अब अपनी रणनीतिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल कर रहा है.

इसके कारण भारत और श्रीलंका के रिश्तों में तल्खी देखने को मिली थी. अब ऐसे में भारत की इस डील के जरिए कोशिश है कि श्रीलंका में चीन के प्रभाव को कम किया जाए. इसके लिए जो भी काम करने होंगे वो किए जाएंगे.

Pm Modi In Srilanka

कोलंबो में पीएम मोदी का भव्य स्वागत.

चीन और श्रीलंका के बीच पहले ही 1.7 बिलियन डॉलर की डील हुई थी, जिसे चुकाए न जाने के कारण हंबनटोटा बंदरगाह पर चीन का कब्जा हो गया है. पहले से ही आर्थिक संकट से गुजर रहे श्रीलंका ने चीन के साथ 3.7 अरब डॉलर की डील साइन कर ली है. इसे अब तक का सबसे बड़ा विदेशी निवेश बताया जा रहा है. यह डील एक तेल रिफाइनरी बनाने को लेकर हुई है.

किन मामलों पर होगी दोनों देशों के बीच बात?

भारत श्रीलंका को चीन के कर्ज के जाल से बाहर निकालकर एक भरोसेमंद साझेदार बनाना चाहता है. डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों के बीच एक डील होने संभावना है. दोनों नेताओं के बीच ऊर्जा संपर्क, डिजिटलीकरण, रक्षा, स्वास्थ्य और बहुक्षेत्रीय अनुदान सहायता से संबंधित कई समझौतों का आदान-प्रदान भी होगा. अपनी चर्चाओं के दौरान दोनों नेता मछुआरों से संबंधित सभी मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे, जिसमें भारतीय मछुआरों और मछली पकड़ने वाली नौकाओं की शीघ्र रिहाई और प्रत्यावर्तन भी शामिल है.

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