
पाकिस्तान इन दिनों अपराधों की बाढ़ से जूझ रहा है. खासकर यौन अपराधों के आंकड़े तो डराने वाले हैं. इस्लामाबाद, जो देश की राजधानी है, वहां हालात सबसे ज्यादा खराब हैं. यहां शरीअत कानून के सख्त प्रावधान भी हैं, बावजूद इसके यहां हर दिन दर्जनों लोग ऐसे अपराधों में लिप्त पाए जा रहे हैं, जिन्हें शरीअत में 100 कोड़े तक की सजा दी जाती है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में यौन अपराधों की दर बेहद चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई है. ‘द न्यूज’ में छपे आंकड़ों के मुताबिक, देश में बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और जिना जैसे गंभीर अपराधों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इस्लामाबाद में सबसे ज्यादा सामूहिक बलात्कार के मामले दर्ज किए गए हैं, जो कि खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और गिलगित-बाल्टिस्तान जैसे इलाकों से भी कहीं ज्यादा हैं.
पिछले एक साल के आंकड़ें
रिपोर्ट बताती है कि पूरे पाकिस्तान में पिछले एक साल में 11,074 हत्याएं, 2,142 सामूहिक बलात्कार और 4,472 ज़िना के केस दर्ज किए गए. सबसे ज्यादा घटनाएं पंजाब प्रांत से सामने आईं, जहां 4,908 हत्याएं और 2,046 सामूहिक बलात्कार हुए. इससे साफ है कि पाकिस्तान की आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा अपराध की गिरफ्त में है और कानून व्यवस्था चरमराई हुई है.
क्या बताती है शरीअत की सजा?
इस्लामिक कानून यानी शरीअत के मुताबिक, शादीशुदा व्यक्ति अगर जिना करता है तो उसे पत्थर मारकर मौत की सजा दी जाती है. वहीं, अविवाहित व्यक्ति को 100 कोड़े मारने की सजा दी जाती है. बावजूद इसके, देश में ऐसे अपराध रुकने का नाम नहीं ले रहे. हर दिन औसतन 12 से ज्यादा लोग ऐसे जुर्म में पकड़े जा रहे हैं, जिन पर शरीअत के तहत कड़ी सजा तय है.
दंगो की आग में भी जल रहा पाक
सिर्फ यौन अपराध ही नहीं, अपहरण और दंगों के मामलों में भी पाकिस्तान की स्थिति खराब है. बीते वर्ष में कुल 34,688 अपहरण के मामले दर्ज किए गए. इसमें अकेले पंजाब में 28,702 केस सामने आए. सिंध में 4,331, खैबर पख्तूनख्वा में 533, बलूचिस्तान में 406, इस्लामाबाद में 238, गिलगित-बाल्टिस्तान में 108 और आजाद जम्मू-कश्मीर में 370 मामले दर्ज हुए. इसके अलावा पूरे देश में 4,533 दंगों की घटनाएं हुईं, जिनमें सबसे ज्यादा मामले सिंध से आए.
कानून व्यवस्था पर भी उठे सवाल
इन आंकड़ों से साफ है कि पाकिस्तान में कानून व्यवस्था बुरी तरह चरमरा चुकी है. जहां शरीअत कानून का हवाला देकर आए दिन फैसले सुनाए जाते हैं, वहीं उसी देश में शरीअत के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान केवल कागजों पर शरीअत का पालन करता है या हकीकत में भी उसका कोई असर है? जब राजधानी इस्लामाबाद ही सुरक्षित नहीं, तो बाकी देश की हालत का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं.