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सिर्फ एक पैमाना…ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट ने बताई महिला की परिभाषा

सिर्फ एक पैमाना...ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट ने बताई महिला की परिभाषा

ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट ने बताई महिला की परिभाषा

महिला कौन है? उसकी क्या परिभाषा है? जैविक पहचान से तय होती है या जेंडर पहचान से? ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट ने इस सवाल का जवाब हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसले में दिया है. कोर्ट ने कहा है कि Equality Act 2010 में ‘महिला’ का मतलब केवल वह व्यक्ति है जो जन्म से महिला हो यानी जैविक महिला.

इसका मतलब यह है कि ट्रांसजेंडर महिलाएं, अगर उनके पास जेंडर रिकग्निशन सर्टिफिकेट भी हो तो भी इस कानूनी परिभाषा में ‘महिला’ नहीं मानी जाएंगी. जज पैट्रिक हॉज की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से ये फैसला सुनाया है.

क्या होता है जैविक महिला?

जैविक महिला का मतलब है वो इंसान जो जन्म से ही महिला शरीर के साथ पैदा हुई हो. जिसके शरीर में प्राकृतिक रूप से महिला हार्मोन और प्रजनन क्षमता हो. यानी, लिंग बदलाव या कानूनी दस्तावेज़ों से महिला बनी शख्स इसमें शामिल नहीं होती.

पूरा मामला क्या था?

2018 में स्कॉटलैंड की संसद ने एक कानून पास किया था. इसमें कहा गया था कि सरकारी संस्थाओं के बोर्ड में 50 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए हो. मगर इस कानून में ट्रांसजेंडर महिलाओं को भी महिला माना गया. इस पर For Women Scotland (FWS) नाम के महिला अधिकारों के संगठन ने आपत्ति जताई. उन्होंने कहा इससे जन्म से महिलाओं के अधिकार कमजोर पड़ेंगे क्योंकि फिर कोई भी ट्रांस महिला आकर महिलाओं की जगह ले सकती है.

पहले हार, फिर सुप्रीम कोर्ट में जीत

शुरुआत में कोर्ट ने FWS की याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की इजाजत मिल गई. अब सुप्रीम कोर्ट ने FWS के पक्ष में फैसला सुनाया है. कोर्ट ने ये भी कहा है कि ये फैलला ट्रांसजेंडर लोगों के खिलाफ नहीं है. कानून में उनके लिए भी सुरक्षा है, उन्हें लिंग परिवर्तन के आधार पर भेदभाव से बचाने के प्रावधान मौजूद हैं.

इस फैसले पर लोगों की क्या राय है?

FWS की डायरेक्टर ट्रिना बज ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अगर महिला की परिभाषा को जैविक आधार से न जोड़ा जाए, तो पब्लिक बोर्ड में महिलाएं नाम की सीटों पर भी पुरुष ही बैठे होंगे. ये तो महिलाओं के साथ धोखा होगा. FWS को मशहूर लेखिका जे.के. रोलिंग का भी समर्थन मिला है. उन्होंने पहले भी कहा था कि ट्रांस अधिकारों की आड़ में जैविक महिलाओं के हक को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. वहीं, Amnesty International जैसे मानवाधिकार संगठनों ने फैसले की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि ट्रांस महिलाओं को महिलाओं की जगहों से बाहर करना सही तरीका नहीं है.

फैसले का क्या असर पड़ेगा?

ये फैसला सिर्फ स्कॉटलैंड ही नहीं, पूरे ब्रिटेन यानि इंग्लैंड और वेल्स पर लागू होगा. इसका असर जेलों, अस्पतालों, स्कूलों और पब्लिक टॉयलेट्स जैसी जगहों पर साफ दिखाई दे सकता है जहां महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग सुविधाएं होती हैं. यह फैसला आने वाले दिनों में ट्रांस अधिकारों और महिला अधिकारों के बीच संतुलन को लेकर बहस को और तेज कर सकता है.

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