
पुतिन, डोनाल्ड ट्रंप और जेलेंस्की.
ट्रंप ने जेलेंस्की को फंसाने के लिए चक्रव्यूह रच दिया है. अब जेलेंस्की के पास सिर्फ एक ही विकल्प है या तो ट्रंप की शर्तों को मानकर युद्धविराम स्वीकार करें या फिर यूक्रेन की बर्बादी के लिए तैयार रहें. आखिर वो कौन सी चाल है, जिसने जेलेंस्की को संकट में डाल दिया है. इस रिपोर्ट में समझिए कैसे ट्रंप-पुतिन ने यूक्रेन संहार का ब्लूप्रिंट तैयार किया है.
एक तरफ जेलेंस्की ने युद्धविराम से इनकार किया. दूसरी तरफ वार्ता के दौरान रूस के एनर्जी सेक्टर पर हमले किए यानी जेलेंस्की पहले से ही तय कर चुके थे कि उन्हें युद्धविराम की शर्ते माननी नहीं है. जेलेंस्की की चाल को ट्रंप समझ चुके हैं. अब ट्रंप के तेवर बेहद सख्त हो गए हैं. अब अमेरिका ने फिर से खनिज करार के लिए नया प्रस्ताव रखा है, जिससे यूक्रेन की दुर्लभ खनिजों की खदानों का अधिकार अमेरिका को मिल सके जबकि दूसरी तरफ रूस से यूक्रेन पहुंचने वाली गैस पाइपलाइन पर भी अमेरिका ने कब्जा मांगा है. इसके लिए रूस से पहले ही बात हो चुकी है. यानी ट्रंप चाहते हैं कि हर कीमत पर जेलेंस्की को मजबूर किया जाए, जिससे वो खनिज डील करे.
डोनाल्ड ट्रंप ने बदली खनिज नीति
साथ ही गैस पाइप लाइन पॉलिसी में भी बदलाव करे. ट्रंप ने खनिज डील और गैसपाइपलाइन करार को लेकर क्या बदलाव किए हैं. वो समझिए. दरअसल, अब ट्रंप ने खनिज खदानों का संपूर्ण अधिकार मांगा है जबकि पहले वो हिस्सेदारी मांग रहे थे. इसके अलावा गैजप्रॉम पाइपलाइन का कंट्रोल मांगा है. हांलाकि, इसके पीछे ट्रंप की चाल है कि वो गैजप्रॉम का कंट्रोल लेकर पुतिन को दे देंगे, जिससे यूक्रेन दोबारा गैसपाइपल पर विस्फोट नहीं कर सकता क्योंकि वो करार अमेरिका से कर रहा है.
अगर ये डील नहीं होती है तो…
ये खुलासा रोमानिया ने किया है. अगर ये डील नहीं होती है तो दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध में फंस सकती है क्योंकि रूस यूक्रेन को तबाह करने के बाद दूसरे देशों पर हमला करेंगे जबकि ट्रंप ही रूस को रोक सकते हैं. इसके लिए जेलेंस्की को युद्धविराम की नई शर्तों को मानना होगा.
अगर जेलेंस्की ने शर्तें नहीं मानी तो रूस नाटो में टकराव तय है. इस बीच रोमानिया में नाटो मिलिट्री बेस बना रहा है.
NATO रोमानिया पर बना रहा दबाव
नाटो लगातार रोमानिया पर दबाव बना रहा है कि वो रूस पर हमला करे. इससे रूस पलटवार करेगा तो नाटो को रूस पर हमला करने का मौका मिल जाएगा लेकिन सवाल ये है कि अमेरिका विहीन नाटो रूस का मुकाबला कैसे करेगा. यही ट्रंप की चाल है कि वो नाटो को बता पाएं कि बिना अमेरिका नाटो की कोई हैसियत नहीं है और रूस नाटो को कभी भी तहस-नहस कर सकता है. जेलेंस्की को ये जितनी जल्दी समझ आ जाए तो ठीक वर्ना उसका खात्मा तय है और फिर अमेरिका-रूस मिलकर खनिज खजाने का बंटवारा कर सकते हैं.
ब्यूरो रिपोर्ट, टीवी9 भारतवर्ष