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राजशाही समर्थक RRP ने काठमांडू में किया प्रदर्शन, गिरफ्तार नेताओं की रिहाई की मांग

राजशाही समर्थक RRP ने काठमांडू में किया प्रदर्शन, गिरफ्तार नेताओं की रिहाई की मांग

नेपाल में विरोध प्रदर्शन. (फाइल फोटो)

नेपाल की राजशाही समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) ने शुक्रवार को काठमांडू में एक विरोध रैली आयोजित की, जिसमें पिछले हफ्ते के हिंसक प्रदर्शनों के बाद गिरफ्तार किए गए अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई की मांग की गई. इन प्रदर्शनों में दो लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे.

रैली का नेतृत्व आरपीपी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री पशुपति शमशेर राणा और प्रकाश चंद्र लोहानी ने किया. उन्होंने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की तत्काल रिहाई की मांग की और पिछले हफ्ते की घटना की स्वतंत्र जांच की मांग की. उन्होंने विरोध प्रदर्शनों में घायल हुए लोगों के लिए फ्री इलाज की भी मांग की.

70 लोगों को किया गिरफ्तार

पिछले शुक्रवार को आरपीपी नेताओं और समर्थकों ने अन्य राजशाही समर्थक समूहों के साथ मिलकर काठमांडू में एक रैली आयोजित की, जिसमें राजशाही की बहाली और नेपाल को हिंदू राज्य घोषित करने की वकालत की गई. पुलिस ने हिंसा के सिलसिले में आरपीपी नेताओं और राजशाही समर्थकों सहित लगभग 70 लोगों को गिरफ्तार किया है. अधिकारियों का आरोप है कि हिरासत में लिए गए कुछ लोग तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाओं में शामिल थे. अशांति के दौरान लगभग 18 इमारतों में आग लगा दी गई तथा एक दर्जन वाहन क्षतिग्रस्त हो गए.

मुस्लिम नेताओं और संगठनों की प्रतिक्रिया

लोकसभा और राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पारित होने के बाद उत्तर प्रदेश के मुस्लिम नेताओं और संगठनों की ओर से मिलीजुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. कुछ संगठनों व नेताओं ने विधेयक की आलोचना की है जबकि अन्य ने इसके जरिए बेहतरी की उम्मीद जताई है.वक्फ विधेयक पारित होने के बाद बरेली में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा, ‘मैं भारत सरकार का शुक्रिया अदा करता हूं. साथ ही देश के सभी नागरिकों को बधाई देता हूं.

गरीब मुसलमानों को लाभ

उन्होंने तर्क दिया कि यह विधेयक गरीब मुसलमानों को लाभ पहुंचाएगा क्योंकि इससे वक्फ भूमि की आय का उपयोग उनके सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए किया जाएगा.बरेलवी ने यह भी कहा, ‘वक्फ संशोधन विधेयक से आम मुसलमानों को कोई नुकसान नहीं होगा, बल्कि इससे फायदा ही होगा, नुकसान उन वक्फ भू-माफियाओं को होगा जिन्होंने करोड़ों की जमीनों पर कब्जा कर रखा है.

ज्ञानवापी इंतजामिया मस्जिद समिति

दूसरी ओर वाराणसी में, ज्ञानवापी इंतजामिया मस्जिद समिति के सचिव मोहम्मद यासीन ने नाराजगी व्यक्त करते हुए दावा किया कि यह विधेयक ‘अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है’ और ‘यह ‘पूजा स्थल अधिनियम’ को भी कमजोर करेगा.’ इसी तरह, अलीगढ़ में, ऑल इंडिया मजलिस-ए-मुशावरत के राष्ट्रीय अध्यक्ष फिरोज अहमद ने विधेयक को न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ बताया.

मुस्लिम समुदाय को निशाना

गोरखपुर में, यह विधेयक मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में चर्चा का केंद्र बिंदु बन गया है.मौलाना सैयद जावेद ने मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाए जाने पर ‘दुख और चिंता’ व्यक्त की. जिला प्रशासन के अनुसार, गोरखपुर में 967 वक्फ संपत्तियां हैं, जिनमें से लगभग 60 फीसदी विवादित हैं.मथुरा में, संकट मोचन सेना जैसे हिंदू संगठनों ने विधेयक का समर्थन करते हुए बैठकें की.

622 वक्फ संपत्तियों की पहचान

शाही ईदगाह इंतेजामिया समिति के सचिव एडवोकेट तनवीर अहमद ने विधेयक का कड़ा विरोध करते हुए आरोप लगाया कि इसका उद्देश्य ‘वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करके उन्हें पसंदीदा पूंजीपतियों को देना’ है.बागपत में, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कैलाश तिवारी ने बताया कि जिले में 622 वक्फ संपत्तियों की पहचान हाल ही में किए गए सर्वेक्षण में की गयी है.

एनसीआर में जमीन की ऊंची कीमतें

उन्होंने यह भी कहा कि इन संपत्तियों का कुल क्षेत्रफल 162.6364 हेक्टेयर है, जो एनसीआर में जमीन की ऊंची कीमतों को देखते हुए काफी अहम है.जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम) से जुड़े मौलाना शाह आलम ने कहा कि यह विधेयक सही नहीं है और हम इसके खिलाफ हैं. वहीं बलिया में बीजेपी विधायक केतकी सिंह ने विधेयक का स्वागत किया और वक्फ अध्यक्ष की संपत्ति की जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया कि इन लोगों ने वक्फ के नाम पर जमीन पर कब्जा कर रखा है.

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