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यूरोप के मिजाज को नहीं भांप पाईं मेलोनी, कभी भी जा सकती है प्रधानमंत्री की कुर्सी

यूरोप के मिजाज को नहीं भांप पाईं मेलोनी, कभी भी जा सकती है प्रधानमंत्री की कुर्सी

यूरोप के मिजाज को नहीं भांप पाई मेलोनी, कभी भी जा सकती है प्रधानमंत्री की कुर्सी

इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की सरकार संकट के दौर से गुजर रही है. यूरोप में बदलते राजनीतिक समीकरणों और अमेरिका की नीति में आए बदलावों ने मेलोनी के नेतृत्व को कमजोर कर दिया है. इटली की मौजूदा सरकार तीन दलों फर्टेली डी इटालिया, लेगा पार्टी और फोर्जा इटालिया के गठबंधन पर टिकी है.

हालांकि इन दलों की विदेश नीति को लेकर अलग-अलग राय है, जिससे सरकार अस्थिर हो रही है. अगर यह मतभेद गहराते हैं तो मेलोनी की सरकार गिर सकती है. मेलोनी भले ही ट्रंप और उनकी नीतियों का समर्थन करती हो लेकिन उनकी फर्टेली डी इटालिया पार्टी खुले तौर पर यूरोप और यूक्रेन का समर्थन करती है.

ऐसे टूट सकता है गठबंधन

वहीं, लेगा पार्टी के नेता मातेओ साल्विनी रूस समर्थक रुख अपनाए हुए हैं और यूरोपीय देशों के सैन्य सशक्तिकरण का विरोध कर रहे हैं. अगर मेलोनी रूस के खिलाफ सख्त कदम उठाती हैं तो लेगा पार्टी समर्थन वापस ले सकती है, जिससे सरकार अल्पमत में आ जाएगी. दूसरी ओर, फोर्जा इटालिया यूक्रेन समर्थक नीति अपनाए हुए है. अगर मेलोनी ने यूक्रेन विरोधी रुख अपनाया तो फोर्जा इटालिया भी सरकार से दूरी बना सकती है.

सरकार के गठजोड़ को जान लेते हैं

इटली में 3 पार्टियों की सरकार है. इनमें मेलोनी की फर्टेली डी इटालिया सबसे प्रमुख भूमिका में है. उसके पास 63 सांसद हैं. दूसरे नंबर पर लेगा पार्टी है, जिसके पास 29 सांसद हैं. तीसरे नंबर पर फोर्जा इटालिया है, जिसके पास 20 सांसद है. इटली में सरकार बनाने के लिए 103 सांसदों की जरूरत होती है. अब अगर इनमें कोई भी इधर उधर जाता है, तो ये मेलोनी को भारी पड़ जाएगा.

Meloni

ऐसे में मेलोनी न तो पूरी तरह अमेरिका के खिलाफ जा सकती हैं और न ही यूरोपीय रक्षा नीतियों का खुलकर समर्थन कर सकती हैं. उनकी यह दुविधा उनके नेतृत्व को कमजोर कर रही है और यूरोपीय राजनीति में इटली का प्रभाव भी घट रहा है.

मेलोनी की नीति स्पष्ट नहीं

हालांकि, मेलोनी ने हमेशा यूरोप की स्वतंत्र रक्षा प्रणाली का विरोध किया है और नाटो के समर्थन में रही हैं. लेकिन अब जब नाटो कमजोर हो रहा है, तब भी मेलोनी की नीति स्पष्ट नहीं है. इस स्थिति में, इटली के विपक्षी दलों को भी सरकार पर हमला करने का मौका मिल रहा है. जनमत भी मेलोनी के खिलाफ जाता दिख रहा है. फरवरी में किए गए एक सर्वेक्षण में 69% इटालियनों ने एक स्वतंत्र यूरोपीय सेना के पक्ष में राय दी. लेकिन मेलोनी की सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है.

इसके अलावा, इटली में पहली बार परमाणु निवारक शक्ति (न्यूक्लियर डेटरेंस) पर खुली बहस शुरू हो गई है. जर्मनी और पोलैंड पहले ही फ्रांस के परमाणु सुरक्षा तंत्र में शामिल होने की इच्छा जता चुके हैं, लेकिन इटली इस मुद्दे पर असमंजस में दिख रहा है.

मेलोनी की सबसे बड़ी चुनौती

मेलोनी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उनके गठबंधन के साथी अलग-अलग दिशा में खड़े हैं. अमेरिका की नीतियों के चलते लेगा पार्टी रूस के और करीब जा रही है, जबकि फोर्जा इटालिया यूक्रेन के समर्थन में बनी हुई है. इस बढ़ते मतभेद के चलते सरकार कभी भी गिर सकती है. अगर मेलोनी यूरोप की नब्ज को नहीं समझ पाईं तो उनकी प्रधानमंत्री की कुर्सी ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाएगी.

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