
नरेंद्र मोदी और मोहम्मद यूनुस. (फाइल फोटो)
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर बांग्लादेश के मुखिया मोहम्मद यूनुस का बड़बोलापन महंगा पड़ा. बांग्लादेश को झटका देते हुए भारत ने बांग्लादेश को दी जा रही ट्रांस-शिपमेंट सुविधा को वापस लेने का बड़ा फैसला लिया है.
यह फैसला 8 अप्रैल से प्रभावी हो गया है. विदेश मंत्रालय (MEA) ने स्पष्ट किया है कि इस सुविधा के कारण भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों पर अत्यधिक भीड़, लॉजिस्टिक देरी और लागत में वृद्धि हो रही थी, जिससे भारत के अपने निर्यात भी प्रभावित हो रहे थे.
क्या थी यह ट्रांस-शिपमेंट सुविधा?
ट्रांस-शिपमेंट का मतलब होता है. एक देश से माल दूसरे देश ले जाने के लिए किसी तीसरे देश के बंदरगाह, एयरपोर्ट या परिवहन रास्ते का अस्थायी उपयोग करना. भारत ने बांग्लादेश को यह सुविधा दी थी ताकि बांग्लादेश अपने सामान को भारतीय बंदरगाहों या एयरपोर्ट के जरिये दुनिया के बाकी हिस्सों में भेज सके, और कुछ मामलों में भारत के बंदरगाहों पर अपना सामान उतार-चढ़ाव भी कर सके.
उदाहरण के लिए, बांग्लादेश से माल कोलकाता पोर्ट या मुंबई पोर्ट के जरिए यूरोप, अमेरिका या अफ्रीका भेजा जाता था. वहीं, चेन्नई एयरपोर्ट से भी कुछ ट्रांजिट किया जाता था. इसका उद्देश्य था बांग्लादेश को सपोर्ट करना, क्योंकि उसके कुछ बंदरगाहों और लॉजिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर में सीमाएं हैं.
#WATCH | Delhi | On the withdrawal of the Transshipment facility for Bangladesh, MEA Spokesperson Randhir Jaiswal says, “…The Transshipment facility extended to Bangladesh had over a period of time resulted in significant congestion at our airports and ports. Logistical delays pic.twitter.com/ZoLBJrskZ8
— ANI (@ANI) April 9, 2025
एक्शन पर भारत की दलीलें
भारतीय बंदरगाहों पर भारी भीड़…बांग्लादेश के ट्रांस-शिपमेंट ने भारत के पोर्ट्स पर ट्रैफिक बढ़ा दिया था, जिससे भारतीय निर्यातकों को समय पर शिपमेंट में परेशानी होने लगी.
लॉजिस्टिक लागत में इजाफा…अधिक ट्रैफिक के कारण माल ढुलाई की लागत बढ़ गई, जिससे भारत के व्यापार को नुकसान हो रहा था.
बैकलॉग और देरी…भारतीय व्यापारिक कंपनियों के लिए समय पर निर्यात करना मुश्किल हो रहा था, जिससे इंटरनेशनल ऑर्डर प्रभावित हो रहे थे.
क्या यह पूरी तरह से बांग्लादेश पर लागू है?
नहीं, भारत ने साफ किया है कि यह रोक केवल उन ट्रांस-शिपमेंट पर लागू होगी जो भारतीय बंदरगाहों/एयरपोर्ट्स से होकर तीसरे देशों में जा रही हैं. लेकिन बांग्लादेश से नेपाल और भूटान को जाने वाला सामान, जो भारत की भूमि से होकर जाता है, उस पर कोई रोक नहीं है.
इस फैसले का क्या असर पड़ेगा?
बांग्लादेश पर बुरा असर…बांग्लादेश को अपने माल की शिपिंग के लिए अब चिट्टागोंग या मोंगला पोर्ट पर निर्भर रहना पड़ेगा. इससे लॉजिस्टिक लागत और शिपिंग टाइम बढ़ सकता है. बांग्लादेश के छोटे और मिडियम एक्सपोर्टर्स को विशेष रूप से दिक्कत होगी.
भारतीय व्यापारियों को फायदा…भारतीय पोर्ट्स और एयरपोर्ट्स पर दबाव कम होगा. भारतीय निर्यातकों को राहत मिलेगी. यह फैसला लोकल व्यापार हितों को प्राथमिकता देने की नीति का संकेत भी देता है. मोहम्मद यूनुस ने चीन में कहा था कि बंगाल की खाड़ी उनका है और अब इस फैसले से उन्हें समझ में आयेगा कि हिन्द महासागर के जरिए व्यापार करने के लिए भारत की कृपा दृष्टि चाहिए.