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यूक्रेन नहीं यूरोप है टारगेट! 2029 तक रूस करेगा कब्जा, पुतिन के प्लान से दहशत में दुनिया

यूक्रेन नहीं यूरोप है टारगेट! 2029 तक रूस करेगा कब्जा, पुतिन के प्लान से दहशत में दुनिया

2029 तक यूरोप पर होगा रूस का कब्जा! पुतिन के प्‍लान से दहशत में दुनिया.

रूस-यूक्रेन युद्ध पर पूरी दुनिया चाहती है कि अब यह खूनी संघर्ष किसी तरह समाप्त हो जाए. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी सीजफायर के लिए पुतिन और जेलेंस्की के बीच बातचीत की कोशिश कर रहे हैं. वहीं यूरोप कई बार रूस के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग कर चुका है. लेकिन अब एक और बड़ा खतरा यूरोप के दरवाजे पर खड़ा हो गया है. जर्मनी के एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने चेतावनी दी है कि रूस 2029 तक पूरे यूरोप पर बड़ा हमला कर सकता है और इसके लिए पुतिन पहले से तैयारियां कर रहे हैं.

जर्मन सेना के इंस्पेक्टर जनरल कार्स्टन ब्रेउर ने कहा है कि व्लादिमीर पुतिन 2029 तक नाटो देशों पर बड़े पैमाने पर हमला करने में सक्षम हो जाएंगे. उन्होंने दावा किया कि रूस की सेना की ताकत आने वाले एक साल में 30 लाख तक पहुंच जाएगी. यह संख्या युद्धरत यूक्रेन को मात देने के लिए नहीं, बल्कि एक बड़े यूरोपीय सैन्य अभियान की तैयारी का संकेत है. ब्रेउर ने चेतावनी दी कि पुतिन नाटो गठबंधन को कमजोर और ध्वस्त करना चाहते हैं.

रूसी सेना में हो रहीं रिकार्ड भर्तियां

रूस इस समय सबसे बड़ा सैन्य भर्ती अभियान चला रहा है. पिछले सप्ताह ही 1.60 लाख युवाओं को सेना में जबरन भर्ती किया गया, जो 2011 के बाद की सबसे बड़ी संख्या है. यह कदम न सिर्फ यूक्रेन युद्ध में हो रहे सैनिकों के नुकसान की भरपाई है, बल्कि भविष्य की किसी और बड़ी लड़ाई के लिए एक स्पष्ट तैयारी भी है. ब्रेउर के मुताबिक, यह सब मिलकर यूरोप के लिए एक सीधा और बड़ा खतरा बनता जा रहा है.

रूस केवल मानव संसाधन ही नहीं, सैन्य हार्डवेयर भी दोगुनी गति से बढ़ा रहा है. ब्रेउर ने कहा कि हर साल लगभग 1,500 टैंकों का निर्माण किया जा रहा है या फिर पुराने टैंकों को गोदामों से निकालकर फिर से युद्ध के लिए तैयार किया जा रहा है. साथ ही, रूस के हथियार भंडार भी तेजी से भरे जा रहे हैं. यह स्पष्ट संकेत है कि क्रेमलिन अपनी युद्ध नीति को केवल यूक्रेन तक सीमित नहीं रखना चाहता.

जर्मनी से फ्रांस तक सब अलर्ट

इन चेतावनियों को ध्यान में रखते हुए यूरोप ने भी अपनी रक्षा तैयारियों में तेजी लाई है. जर्मनी ने हाल ही में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार लिथुआनिया में स्थायी तौर पर 5,000 सैनिक तैनात करने का ऐलान किया है. फ्रांस ने अपने नागरिकों के लिए एक 20 पन्नों की गाइडबुक जारी की है, जिसमें युद्धकाल में कैसे जीवित रहें, इसके उपाय दिए गए हैं. इसमें रिजर्व बलों में शामिल होने, आपातकालीन किट तैयार रखने और नागरिक सुरक्षा में योगदान देने के सुझाव शामिल हैं.

कई देशों ने बनाई ज्वाइंट सिक्योरिटी लाइन

बाल्टिक देश लातविया, लिथुआनिया और क्रोएशिया ने रूस से सटी अपनी सीमा पर ज्वाइंट सिक्योरिटी लाइन खड़ी करने का फैसला लिया है. इसमें 600 बंकरों, टैंक रोधी खाइयों, जंगलों में अवरोधों, ड्रैगन टीथ और रॉकेट सिस्टम से लैस होगी. इसके अलावा पोलैंड और बाल्टिक देशों ने एंटी-पर्सनल माइंस पर लगी अंतरराष्ट्रीय संधि से खुद को अलग कर लिया है ताकि जरूरत पड़ने पर रूसी सेना को रोकने के लिए हर हथियार इस्तेमाल किया जा सके.

यूरोप के कई देश अब जबरन सैन्य भर्ती (conscription) की नीति पर भी विचार कर रहे हैं. ब्रिटेन में भी इस दिशा में बहस तेज हो रही है. रूस की इस आक्रामक रणनीति को देखकर आशंका जताई जा रही है कि यदि समय रहते यूरोप तैयार नहीं हुआ, तो 2029 तक हालात एक विश्व युद्ध की ओर मुड़ सकते हैं. पुतिन की योजना अब केवल सीमित सैन्य अभियान तक नहीं है, बल्कि यह पूरे यूरोप को अपनी पकड़ में लेने की ओर संकेत करती है.

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