
अमेरिका बनाम ईरान: सैन्य ताकत की तुलना
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में ईरान को धमकी दी है कि अगर वह अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम पर किसी समझौते पर नहीं पहुंचता तो अमेरिका उस पर बमबारी कर सकता है. ट्रम्प ने NBC न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि अगर ईरान कोई डील नहीं करता है तो ऐसी बमबारी होगी जैसी पहले कभी नहीं देखी होगी. उन्होंने यह भी कहा कि अगर समझौता नहीं होता तो वह ईरान पर सेकेंडरी टैरिफ लगाएंगे.
इससे पहले, ट्रम्प ने ईरान को सीधी बातचीत के लिए एक पत्र भेजा था, लेकिन ईरानी राष्ट्रपति मसूद पजशकियान ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. पजशकियान ने स्पष्ट किया कि ईरान अमेरिका के साथ सीधी बातचीत नहीं करेगा. अब सवाल ये उठता है कि जब सैन्य ताकत के मामले में अमेरिका का कोई सानी नहीं, ईरान का मुकाबला उससे संभव ही नहीं, तो फिर ईरान किस भरोसे अमेरिका को आंखें दिखा रहा है? आखिर ईरान किस ताकत के बूते अपनी शर्तों पर अड़ा है? आइए, इसे विस्तार से समझते हैं.
अमेरिका बनाम ईरान: सैन्य ताकत की तुलना
अगर सैन्य शक्ति की बात करें तो अमेरिका और ईरान के बीच जमीन-आसमान का फर्क है. इसे ऐसे समझिए कि अमेरिका का रक्षा बजट लगभग 690 अरब डॉलर है, जबकि ईरान का केवल 6.2 अरब डॉलर. यानी अमेरिका का रक्षा बजट ईरान से 100 गुना से भी ज्यादा है. अमेरिका के पास 21 लाख से अधिक सैनिक हैं, जबकि ईरान के पास 8.73 लाख सैनिक हैं.
अमेरिका के पास 13,398 सैन्य विमान हैं, जबकि ईरान के पास सिर्फ 509 विमान हैं. अमेरिका के पास 6,287 टैंक हैं जबकि ईरान के पास 1,634 टैंक हैं. अमेरिका के पास 4,018 परमाणु मिसाइलें हैं, जबकि ईरान के पास एक भी नहीं है. अमेरिका के पास 24 एयरक्राफ्ट कैरियर हैं जबकि ईरान के पास एक भी नहीं है.
ईरान क्यों नहीं झुकता?
सैन्य शक्ति में भारी अंतर के बावजूद ईरान अमेरिका को चुनौती दे रहा है. इसके पीछे तीन प्रमुख कारण हैं. पहला ये कि ईरान के पास दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस भंडार है, जो लगभग 1,200 ट्रिलियन क्यूबिक फीट है और वैश्विक भंडार का 18% हिस्सा है.
इसके अलावा, ईरान के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल भंडार (140 अरब बैरल) है, जो वैश्विक भंडार का 11% है और तीसरा ये है कि ईरान में दुनिया के सबसे बड़े जिंक, तांबे और लोहे के भंडार भी मौजूद हैं.
ईरान की मिसाइल ताकत: एक नजर
ईरान के पास मिसाइलों की एक मजबूत श्रृंखला है, जो 2000 किलोमीटर तक मार कर सकती हैं और अमेरिकी ठिकानों के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं. ईरान ने पहाड़ों में कई अंडरग्राउंड मिसाइल अड्डे बनाए हैं, जिन्हें ‘मिसाइल सिटी’ कहा जाता है.
हाल ही में, ईरान ने अपनी तीसरी ‘मिसाइल सिटी’ का वीडियो जारी किया, जिसमें खैबर शेकेन, कादर-H, सेजिल और पावेह लैंड अटैक क्रूज मिसाइलें दिखाई गईं. ये हथियार हाल ही में इजरायल पर हमले में इस्तेमाल किए गए थे.
ईरान की मिसाइल श्रेणियां
ईरान अपनी मिसाइल क्षमताओं को चार श्रेणियों में बांटता हैं. पहला रॉकेट मिसाइल जो बुनियादी रूप से अल्प दूरी की मारक क्षमता वाली मिसाइलें हैं. दूसरी श्रेणी है क्रूज मिसाइल की जो कम ऊंचाई पर उड़ान भरने वाली, रडार को चकमा देने की क्षमता वाली मिसाइलें हैं. तीसरी है बैलिस्टिक मिसाइल जो मध्यम और लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम है. और चौथी श्रेणी है हाइपरसोनिक मिसाइल की जो ध्वनि की गति से कई गुना तेज उड़ने वाली आधुनिक मिसाइलें होती हैं.
अप्रैल 2024 में, ईरान ने इजरायल पर मिसाइल हमला किया था, जिसमें इमाद-III बैलिस्टिक मिसाइल शामिल थी, जो 1700 किलोमीटर रेंज, 750 किलोग्राम वारहेड क्षमता रखता है.पावह क्रूज मिसाइल 1650 किलोमीटर रेंज, लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अलग रास्ते अपना सकती है. शाहिद 136 ड्रोन जो सटीक हमले करने की क्षमता रखता है.
क्या अमेरिका ईरान पर हमला करेगा?
ईरान और अमेरिका के बीच तनाव कोई नया नहीं है, लेकिन इस बार हालात ज्यादा गंभीर हैं. अमेरिका की सैन्य ताकत लिहाजा सबसे ज्यादा है, लेकिन ईरान की रणनीतिक स्थिति, मिसाइल क्षमता और प्राकृतिक संसाधनों ने उसे अब तक झुकने नहीं दिया है. अगर दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ता है, तो इसका असर केवल ईरान या अमेरिका तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे मध्य पूर्व और वैश्विक तेल बाजार पर पड़ेगा.