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यहां सबको झुकना पड़ता है… दुश्मनी भुलाकर अब ट्रंप से हाथ मिला रहा ये मुस्लिम देश

यहां सबको झुकना पड़ता है... दुश्मनी भुलाकर अब ट्रंप से हाथ मिला रहा ये मुस्लिम देश

दुश्मनी भुलाकर अब ट्रंप से हाथ मिला रहा ये मुस्लिम देश.

ईरान और अमेरिका के बीच दशकों पुरानी दुश्मनी के बावजूद शनिवार को ओमान में परमाणु कार्यक्रम को लेकर अप्रत्यक्ष वार्ता शुरू हुई. दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच यह बातचीत ऐसे समय पर हो रही है, जब तेहरान का परमाणु कार्यक्रम तेजी से आगे बढ़ रहा है और अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय बन चुका है. भले ही किसी तत्काल समझौते की संभावना कम हो, लेकिन इन वार्ताओं का रणनीतिक और राजनीतिक महत्व काफी ज्यादा है.

बातचीत में अमेरिकी मिडिल ईस्ट के दूत स्टीव विटकॉफ और ईरान के शीर्ष राजनयिक अब्बास अराघची के शामिल होने की पुष्टि हुई है. अराघची ने ओमान के विदेश मंत्री बद्र अल-बुसेदी से मुलाकात कर ईरान की ‘मौजूदा हालात और कई प्रमुख बिंदुओं’ को अमेरिकी पक्ष तक पहुंचाने के लिए कहा. यह बातचीत पूरी तरह अप्रत्यक्ष है, जिसमें दोनों पक्षों की बातें ओमानी विदेश मंत्री के माध्यम से एक-दूसरे तक पहुंचाई जा रही हैं. ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बगाई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बताया कि बातचीत शुरू हो चुकी है.

परमाणु मुद्दे तक सीमित है ये बातचीच

ईरान की राज्य समाचार एजेंसी IRNA के अनुसार, अराघची ने कहा कि अगर दोनों पक्षों में पर्याप्त इच्छाशक्ति हुई, तो वार्ता के लिए एक ठोस समयरेखा तय की जा सकती है. उन्होंने साफ किया कि वार्ता का दायरा केवल परमाणु मुद्दे तक सीमित है. साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि समझौता तभी संभव होगा जब यह ‘बराबरी के आधार पर और ईरानी जनता के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए’ किया जाए.

क्या चाहता है अमेरिका?

वहीं अमेरिका की ओर से स्टीव विटकॉफ और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन वार्ताओं को “प्रत्यक्ष” बताया है. विटकॉफ ने एक साक्षात्कार में कहा था कि अमेरिका की प्राथमिकता ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह समाप्त कराना है. हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि दोनों देशों के बीच कुछ स्तर पर समझौता भी संभव है. उनका सख्त रुख यह था कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को हथियार बनाने की दिशा में नहीं ले जा सकता.

क्या होगा ईरान का दांव?

2015 के परमाणु समझौते के तहत ईरान को केवल 3.67% तक यूरेनियम संवर्धन की अनुमति थी, लेकिन आज उसके पास ऐसा संवर्धित यूरेनियम मौजूद है, जिससे कई परमाणु हथियार बनाए जा सकते हैं. कुछ यूरेनियम 60% तक बढ़ा है. अमेरिका द्वारा 2018 में समझौते से बाहर निकलने के बाद से ईरान ने अपने कार्यक्रम में तेजी ला दी है. मौजूदा वार्ता में ईरान संभवतः 20% तक संवर्धन की छूट मांग सकता है, लेकिन वह अपना कार्यक्रम पूरी तरह समाप्त करने को तैयार नहीं है.

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