
म्यांमार में भारतीय सेना
म्यांमार में भूकंप के बाद राहत और बचाव कार्यों को अंजाम दे रही भारतीय सेना ने ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. मलबे में फंसे लोगों को ढूंढ़ने और सुरक्षित निकालने की दिशा में ये बड़ी कामयाबी है.
भारतीय सेना ने म्यांमार में चल रहे ऑपरेशन ब्रह्मा के दौरान जिन अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया है, उनमें रोबोटिक म्यूल्स और नैनो ड्रोन सबसे खास हैं. ये उपकरण न सिर्फ बचाव कार्य को तेज़ और सुरक्षित बना रहे हैं, बल्कि भविष्य के सैन्य और आपदा प्रबंधन अभियानों में गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं.
रोबोटिक म्यूल्स: मशीनों में बसी मानव जैसी ताकत
ये चार पैरों वाले रोबोट अत्यधिक असमान और खतरनाक इलाकों में भी आसानी से चल सकते हैं. इनमें हाई-डेफिनिशन कैमरे, सेंसर और GPS सिस्टम लगे होते हैं, जिससे ये मलबे के भीतर की तस्वीरें और लोकेशन की जानकारी तुरंत भेजते हैं.
ये म्यूल्स करीब 100 किलो तक वजन उठाकर राहत सामग्री पहुंचा सकते हैं, वो भी बिना किसी इंसानी खतरे के. म्यांमार में मलबे से घिरे इलाकों में घुसकर इन्होंने फंसे लोगों तक जरूरी दवाएं और उपकरण पहुंचाए हैं.
नैनो ड्रोन: आसमान से निगरानी और राहत की उड़ान
हथेली पर समाने वाले ये ड्रोन संकरे, अंधेरे और धुएं से भरे स्थानों में उड़ान भर सकते हैं. इनमें नाइट विज़न कैमरा, थर्मल सेंसर और लाइव स्ट्रीमिंग टेक्नोलॉजी लगी होती है, जिससे अंदर फंसे लोगों की स्थिति तुरंत मेडिकल टीम तक पहुंचती है.
एक बार में 20-30 मिनट की उड़ान भरने वाले ये ड्रोन बेहद कम समय में बड़ी जानकारी जुटा सकते हैं. सेना अधिकारियों के अनुसार, यह तकनीक न सिर्फ समय बचा रही है, बल्कि जान भी बचा रही है. यह पहली बार है जब इतने बड़े स्तर पर भारत ने मानवीय राहत कार्यों में स्वदेशी हाईटेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है.
ऑपरेशन ब्रह्मा के जरिए भारतीय सेना ने यह साबित किया है कि देश की रक्षा ताकत अब सिर्फ युद्ध में नहीं, बल्कि आपदा प्रबंधन में भी अहम भूमिका निभा रही है, वो भी तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाकर.
अस्पतालों में मरीजों का इलाज कर रहे भारतीय सेना के डॉक्टर
म्यांमार के मांडले शहर में हाल ही में आए भूकंप के बाद राहत कार्यों में जुटा भारतीय सेना का फील्ड अस्पताल लगातार ज़रूरतमंदों को इलाज मुहैया करा रहा है. सेना के डॉक्टरों और मेडिकल टीम ने अब तक कुल 1,932 मरीजों का इलाज किया है, जिनमें से 281 मरीज सिर्फ कल आए. आज भी ये रेस्क्यू ऑपेशन तेजी से किया जा रहा है.
इलाज किए गए मरीज: 1932 / 281
अस्पताल में भर्ती: 30 मरीज
डिस्चार्ज: कोई नहीं
लैब जांच: 5517 / 524
एक्स-रे: 830 / 140
छोटे ऑपरेशन: 243 / 28
बड़े ऑपरेशन: 47 / 4
अस्पताल पूरी क्षमता के साथ काम कर रहा है और मरीजों को जरूरी इलाज, जांच और सर्जरी की सुविधाएं दी जा रही हैं. संयुक्त राष्ट्र की मानवीय मामलों की समन्वय समिति (UN OCHA) की टीम ने अस्पताल का दौरा किया और भारतीय सेना द्वारा अपनाई गई मेडिकल प्रक्रिया को देखा.
कर्नल राकेश की अगुवाई में इंजीनियर टीम ने तीन भूकंप प्रभावित इलाकों का निरीक्षण किया, जहां करीब 350 इमारतें क्षतिग्रस्त पाई गईं. लेफ्टिनेंट कर्नल सिरोही, जो कि ऑर्थोपेडिक सर्जन हैं उन्होंने नायप्यीदा अस्पताल में घायलों की जांच की और म्यांमार के डॉक्टरों को विशेषज्ञ सलाह दी. वहां के मेडिकल अधिकारियों ने भारतीय टीम से सर्जिकल उपकरणों की मदद ली है.