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भारत की इस मिसाइल से चीन को पानी पिलाएगा फिलिपींस, UAE ने भी मांगा

भारत की इस मिसाइल से चीन को पानी पिलाएगा फिलिपींस, UAE ने भी मांगा

आकाश मिसाइल का निर्यात करेगा भारत

भारत की स्वदेशी आकाश मिसाइल प्रणाली अब सिर्फ भारतीय सेनाओं तक सीमित नहीं रहेगी. दक्षिण पूर्व एशिया से लेकर खाड़ी देशों तक इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है. भारत ने फिलीपींस के साथ जहां आकाश मिसाइल सिस्टम की डील को अंतिम रूप देने की तैयारी कर ली है, वहीं अब संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को भी इसका प्रस्ताव दे दिया है. दोनों देशों के साथ हो रही बातचीत भारत की रक्षा निर्यात नीति के लिए एक बड़ा कदम मानी जा रही है.

भारत देगा ‘आकाश’ मिसाइल

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारत और फिलीपींस के बीच यह संभावित सौदा करीब 200 मिलियन डॉलर (लगभग 1,660 करोड़ रुपये) का हो सकता है. 2022 में हुए ब्रह्मोस मिसाइल सौदे के बाद यह भारत का फिलीपींस को दूसरा बड़ा रक्षा निर्यात होगा. उस समय दोनों देशों के बीच 375 मिलियन डॉलर का ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल सौदा हुआ था.

क्यों खास है ‘आकाश’ सिस्टम?

आकाश सिस्टम को DRDO ने विकसित किया है और इसे भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) बनाती है. यह एक मीडियम रेंज एयर डिफेंस सिस्टम है जो लड़ाकू विमानों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन जैसे हवाई खतरों को 25 किलोमीटर की दूरी और 18 किलोमीटर की ऊंचाई तक मार गिरा सकता है. इसकी स्पीड करीब Mach 2.5 यानी दुगनी से भी ज्यादा होती है.

एक स्टैंडर्ड आकाश बैटरी में शामिल होते हैं:

– 3D रडार, जो कई टारगेट्स को ट्रैक कर सकता है.
– चार मोबाइल लॉन्चर्स, जिनमें से हर एक पर तीन मिसाइलें लगी होती हैं.
– इससे एक साथ कई हवाई खतरों को टारगेट किया जा सकता है.

सिस्टम को ट्रैक्ड या व्हील्ड व्हीकल्स पर लगाया जा सकता है, जिससे इसे किसी भी इलाके में आसानी से तैनात किया जा सकता है. यह फिलीपींस जैसे द्वीपीय देश के लिए आदर्श बनाता है.

क्यों जरूरी है फिलीपींस के लिए?

दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच फिलीपींस अपनी सेना और एयर डिफेंस सिस्टम को और मजबूत करना चाहता है. फरवरी 2025 में फिलीपींस के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल रोमेओ ब्रॉवनर ने ब्रह्मोस मिसाइल के अलावा सबमरीन और नई हथियार प्रणालियों की खरीद की योजना की बात कही थी.

फिलीपींस अप्रैल 2025 से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष में ऑर्डर दे सकता है. सूत्रों के अनुसार, फिलीपींस का ऑर्डर अर्मेनिया से बड़ा हो सकता है. अगर तुलना की जाए तो अर्मेनिया ने 720 मिलियन डॉलर में 15 सिस्टम खरीदे थे, तो फिलीपींस का सौदा 4 से 5 पूरी बैटरियों का हो सकता है, जिनमें रडार, लॉन्चर और मिसाइल शामिल होंगे.

UAE को भी भारत की पेशकश

भारत ने अब संयुक्त अरब अमीरात को भी आकाश मिसाइल सिस्टम देने का प्रस्ताव रखा है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान के बीच हुई बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा हुई. दोनों देशों ने सैन्य अभ्यास, ट्रेनिंग, रक्षा उत्पादन, संयुक्त परियोजनाएं और तकनीकी सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है.

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत UAE के साथ अपने रणनीतिक रिश्तों को और मजबूत करना चाहता है. मेक इन इंडिया और मेक इन एमिरेट्स जैसी योजनाओं के तहत दोनों देश मिलकर रक्षा उत्पादन में काम कर सकते हैं. भारत पहले ही आर्मेनिया को आकाश, पिनाका और 155 मिमी तोपें भेज चुका है और अब खाड़ी और आसियान देशों में भी अपने रक्षा उत्पादों की पहुंच बढ़ा रहा है.

दुनिया में बढ़ रही है मांग

आकाश सिस्टम 2014 से भारतीय वायुसेना और 2015 से भारतीय थलसेना का हिस्सा है. नवंबर 2024 में अर्मेनिया को भी इसकी पहली बैटरी दी गई थी, जिसकी कीमत करीब 230 मिलियन डॉलर थी. ब्राजील, मिस्र और वियतनाम जैसे देशों ने भी इसमें रुचि दिखाई है.

‘आत्मनिर्भर भारत’ का बड़ा कदम

इस सौदे के जरिए भारत अपनी आत्मनिर्भर भारत नीति को और मजबूती देगा. भारत, जो पहले दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक था, अब रक्षा निर्यात में तेजी से आगे बढ़ रहा है. मार्च 2024 तक भारत के रक्षा निर्यात 2.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुके हैं.

फिलीपींस और UAE जैसे देशों की भारत की मिसाइल प्रणाली में रुचि, भारत की तकनीकी और रणनीतिक क्षमता पर बढ़ते भरोसे को दिखाता है. आने वाले समय में भारत और अधिक मित्र देशों को एडवांस हथियार सिस्टम निर्यात कर सकता है.

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