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बारूदी बार्डर, बेहिसाब पैसा और पुतिन जैसा दुश्मन… रूस से निपटने के लिए इस छोटे से देश ने लिया बड़ा फैसला

बारूदी बार्डर, बेहिसाब पैसा और पुतिन जैसा दुश्मन... रूस से निपटने के लिए इस छोटे से देश ने लिया बड़ा फैसला

रूस के राष्ट्रपति पुतिन.

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद मानो दुनिया में पुतिन का खौफ हो गया है. यूरोप के बड़े देशों से लेकर हर छोटे देश अपने बॉर्डर की रक्षा के लिए हर मुमकिन कदम उठा रहे हैं. इसी बीच बढ़ते खतरे को देखते हुए एक छोटे से देश ने काफी बड़ा फैसला लिया है. यह छोटा सा देश अब अपनी सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए बारूदी सुरक्षाचक्र तैयार करेगा. इसके तहत इस देश ने उस वैश्विक संधि (ओटावा कन्वेंशन) से बाहर निकलने की योजना बनाई है, जो एंटी-पर्सनल लैंडमाइंस पर प्रतिबंध लगाती है.

इसके अलावा, इस देश की सरकार ने 2029 तक अपने रक्षा खर्च को बढ़ाकर जीडीपी का 3% करने की भी घोषणा की है. यह कदम न केवल इस देश की सुरक्षा को बढ़ाएगा, बल्कि यूरोप में रूस के बढ़ते प्रभाव को रोकने की एक रणनीति भी मानी जा रही है. खुद को पुतिन से बचाने वाला ये देश कोई और नहीं बल्कि फिनलैंड है.

यूरोप के लिए खतरा बन गए पुतिन

फिनलैंड के प्रधानमंत्री पेटेरी ओर्पो ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि फिलहाल देश को कोई तत्काल सैन्य खतरा नहीं है, लेकिन रूस यूरोप के लिए दीर्घकालिक खतरा बना हुआ है. ओर्पो के मुताबिक, ओटावा कन्वेंशन से बाहर निकलने से फिनलैंड को अपनी सुरक्षा जरूरतों के अनुसार रणनीति तैयार करने की अधिक स्वतंत्रता मिलेगी. फिनलैंड ने पिछले दशक में इस संधि के तहत दस लाख से अधिक लैंडमाइंस नष्ट कर दिए थे, लेकिन अब रूस की आक्रामक नीतियों के कारण इसे दोबारा स्टॉक करने की योजना बनाई जा रही है.

रक्षा बजट में भारी बढ़ोतरी

प्रधानमंत्री ओर्पो ने यह भी घोषणा की कि फिनलैंड आने वाले सालों में अपने रक्षा बजट को बढ़ाएगा. सरकार ने 2024 में रक्षा खर्च को 2.41% जीडीपी तक पहुंचा दिया है और 2029 तक इसे 3% करने की योजना है. इसके लिए अतिरिक्त 3 अरब यूरो (लगभग 3.24 अरब डॉलर) खर्च किए जाएंगे. फिनलैंड के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर स्टब ने इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि यह यूरोप की अपनी रक्षा जिम्मेदारी को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

नाटो में शामिल होते ही अलर्ट का अलार्म

रूस द्वारा 2022 में यूक्रेन पर किए गए हमले के बाद फिनलैंड ने दशकों पुरानी तटस्थता नीति को छोड़कर 2023 में नाटो (NATO) में शामिल होने का फैसला लिया था. इसके बाद से ही रूस ने फिनलैंड के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी थी और ‘प्रतिशोधी कदम’ उठाने की चेतावनी दी थी. अब जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की बात कर रहे हैं, तो पोलैंड और बाल्टिक देश (एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया) भी रूस से संभावित हमले को लेकर चिंतित हैं.

माइंस के इस्तेमाल पर नई रणनीति

फिनलैंड के कृषि और वानिकी मंत्री सारी एस्साया ने कहा कि देश बारूदी सुरंगों (माइंस) का इस्तेमाल जिम्मेदारी से करेगा. हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि यह एक “हथियार” है जो देश की रक्षा के लिए आवश्यक है. फिनलैंड पहले ही यह संकेत दे चुका है कि यदि रूस के साथ संघर्ष की संभावना बढ़ती है, तो उसे सुरक्षात्मक रणनीति के तहत बारूदी सुरंगों का भंडारण फिर से शुरू करना पड़ सकता है.

संसद की मंजूरी जरूरी

फिनलैंड के ओटावा संधि से बाहर निकलने के फैसले को संसद की मंजूरी की जरूरत होगी. हालांकि, सरकार और विपक्षी दलों के बीच इस मुद्दे पर व्यापक समर्थन है, जिससे इसे पारित होने की संभावना अधिक है. यह फैसला वैश्विक स्तर पर विवाद खड़ा कर सकता है क्योंकि 1997 में ओटावा संधि को शीत युद्ध के बाद वैश्विक निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था. लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में, फिनलैंड और अन्य यूरोपीय देश खुद को सुरक्षित रखने के लिए इस संधि से बाहर निकलने पर विचार कर रहे हैं.

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