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बांग्लादेश में बर्बाद हो जाएंगे 3.5 करोड़ बच्चे, यूनुस की आंख खोलने वाली रिपोर्ट

बांग्लादेश में बर्बाद हो जाएंगे 3.5 करोड़ बच्चे, यूनुस की आंख खोलने वाली रिपोर्ट

बांग्लादेश में सीसा की वजह से बर्बाद हो रही है बच्चों की सेहत

बांग्लादेश में एक नए संकट की आहट सुनाई दे रही है. जो न केवल बच्चों की सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है, बल्कि उनके भविष्य को भी अंधकार में ढकेल रहा है. इस संकट का नाम है-सीसा (लेड).

एक चौंकाने वाली रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश के लगभग 3.5 करोड़ बच्चे, यानी कि देश के कुल बच्चों का 60 प्रतिशत, इस खतरनाक तत्व से प्रभावित हैं. यह खतरनाक स्थिति बच्चों को मानसिक और शारीरिक बीमारियों के जाल में फंसा रही है.

सीसा के फैलने की वजह क्या है?

इस स्थिति का एक प्रमुख कारण है पुराने बैटरियों का अवैध रीसायकलिंग. बांग्लादेश में हर साल हजारों पुरानी बैटरियों को बिना किसी सुरक्षा के रीसायकल किया जाता है, जिससे खतरनाक रसायन हवा और मिट्टी में घुल जाते हैं. नतीजतन, न सिर्फ बच्चों की सेहत, बल्कि फसलें और मवेशी भी प्रभावित हो रहे हैं. यह रिपोर्ट बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार, मोहम्मद यूनुस और उनके प्रशासन के लिए एक बड़ा चेतावनी संकेत है.

बच्चों के भविष्य को कर रहा है अंधकारमय

बांग्लादेश में सीसा का स्तर WHO द्वारा निर्धारित मानक से दोगुना हो चुका है, और यह बच्चों की मानसिक क्षमता को नुकसान पहुंचा रहा है. एक 12 साल के लड़के, जुनायेद के खून में सीसा का स्तर इतना बढ़ चुका है कि उसका मानसिक विकास रुक गया है और अब वह स्कूल जाने से भी कतराता है. सीसा की वजह से बच्चों में मानसिक विकलांगता, हड्डियों का कमजोर होना, और तंत्रिका तंत्र पर स्थायी प्रभाव पड़ सकता है.

बैटरियों से फैल रहा जहर

बांग्लादेश में बैटरियों का अवैध रीसायकलिंग तेजी से बढ़ रहा है, खासकर ई-रिक्शा की बढ़ती मांग के साथ. हजारों पुरानी बैटरियों का रीसायकल करने से हवा, पानी और मिट्टी में खतरनाक तत्व फैल रहे हैं, जो सिर्फ इंसानों के लिए नहीं, बल्कि फसलों और मवेशियों के लिए भी घातक साबित हो रहे हैं.

आने वाले वर्षों में बढ़ सकता है संकट

स्वास्थ्य मंत्रालय की चेतावनी है कि अगर इस संकट पर जल्द कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती, तो अगले दो सालों में इस जहर से प्रभावित लोगों की संख्या चार गुना बढ़ सकती है. सरकारी कदमों के बावजूद, पर्यावरणीय संगठनों का कहना है कि अवैध बैटरी रीसायकलिंग फैक्ट्रियाँ अब भी देश भर में फल-फूल रही हैं. ये स्थिति बांग्लादेश के बच्चों के लिए खतरे की घंटी बन चुकी है, और अब सवाल यह है कि क्या सरकार इस संकट से निपटने के लिए कड़े कदम उठाएगी, या फिर आने वाले दिनों में स्थिति और भी विकट हो जाएगी.

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