
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हूतियों के खात्मे की कसम खाई है. हूतियों के लाल सागर में जहाज सीज करने और इजराइल पर हमले करने के बाद अमेरिका कई बार चेतावनी दे चुका है, इसके अलावा यमन पर कई बार बमबारी भी की है. लेकिन हूतियों के हमले बंद नहीं हुए हैं और उन्होंने अमेरिका को तगड़ा नुकसान पहुंचाया है.
हूती विरोधियों ने एक आंकड़ा जारी किया है. इसके मुताबिक अमेरिका के 18 एम-2 ड्रोन को उसने अब तक मार गिराया है. एक ड्रोन की कीमत 2 अरब रुपए है. यानी सिर्फ M-2 ड्रोन से ही अब तक 36 अरब रुपए का नुकसान अमेरिका का हो चुका है. हाल ही में अमेरिका ने यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ ऑपरेशन छेड़ रखा है. इसके तहत हूती के ठिकाने पर लगातार मिसाइल दागे जा रहे हैं. अब तक अमेरिकी ऑपरेशन में 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है.
जंग का अमेरिका को उठाना पड़ रहा बड़ा नुकसान
यह स्थिति दोनों पक्षों पर चल रहे संघर्ष और वित्तीय प्रभाव को उजागर करती है. ड्रोन का नुकसान और गोला-बारूद की लागत इस क्षेत्र में अमेरिका के सामने आने वाली चुनौतियों को बढ़ा रही है. अमेरिका में कई लोग अपने टैक्स के पैसे का जंग में इस्तेमाल से गुस्सा हैं.
वहीं यमन की सेना इन कार्रवाइयों का मुकाबला करने के लिए दृढ़ संकल्पित है. अमेरिका ने हूती को खत्म करने के लिए अपनी सैन्य रणनीति में भारी निवेश किया है, फिर भी परिणाम सीमित रहे हैं और यमन की सेना उसका पूरा मुकाबला कर रही है. ड्रोन को गिराना अमेरिका के लिए रणनीतिक और वित्तीय दोनों ही दृष्टि से एक झटका है.
अमेरिका ने तेज किया अभियान
ट्रंप ने हूतियों के खात्में का आदेश दिया है. जिसके बाद अमेरिकी वायु सेना ड्रोन और जेट से लगातार यमन के अलग-अलग इलाकों पर हमले कर रही है. यमन मंत्रालय ने इन हमलों को युद्ध अपराध और मानव अधिकारों का उल्लंघन बताया है. क्योंकि इनमें नागरिक इमारतों और आम इंसानों की जाने गई हैं.