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पैदल होंगे शहबाज शरीफ, बड़े मियां संभालेंगे पाकिस्तान की सत्ता!

पाकिस्तान इस समय गंभीर आर्थिक और आंतरिक संकट से जूझ रहा है. एक ओर देश भुखमरी और महंगाई की मार झेल रहा है, तो दूसरी ओर आतंकी हमलों ने हालात और बिगाड़ दिए हैं. खैबर पख्तूनख्वा से लेकर बलूचिस्तान तक अशांति का माहौल है. टीटीपी जैसे आतंकी संगठन चीन की परियोजनाओं में भी रुकावट डाल रहे हैं, जिससे निवेशकों का भरोसा डगमगाने लगा है.

इन सबके बीच प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की स्थिति कमजोर होती दिख रही है और ऐसे वक्त में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ एक बार फिर सियासी मैदान में उतरते नजर आ रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से नवाज शरीफ की राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं. हाल ही में उन्होंने नेशनल पार्टी के अध्यक्ष और बलूचिस्तान के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल मलिक बलोच से मुलाकात की.

बेलारूस भी गए नवाज शरीफ

इस मुलाकात के दौरान नवाज शरीफ ने बलूचिस्तान की बिगड़ती स्थिति पर चिंता जताई और कहा कि इस समस्या का हल राजनीतिक तरीके से ही निकल सकता है. उन्होंने बलूच जनता से सीधे संवाद की बात कही और जल्द ही बलूचिस्तान का दौरा करने का ऐलान किया.

नवाज शरीफ की सक्रियता ऐसे समय में आई है जब प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ बेलारूस के दौरे पर हैं. वहां उन्होंने बेलारूसी राष्ट्रपति से मुलाकात की और व्यापार, खाद्य सुरक्षा और मानवीय सहयोग जैसे मुद्दों पर बातचीत की. लेकिन देश में बढ़ते संकट और नवाज शरीफ की सक्रियता को देखते हुए यह कयास लगाए जा रहे हैं कि सत्ता के असली केंद्र एक बार फिर बदल सकते हैं.

बेलारूस भी गए नवाज शरीफ

बलूचिस्तान में लंबे समय से असंतोष की आग सुलग रही है. चीनी निवेश को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी है. टीटीपी जैसे आतंकी संगठन चीनी कंपनियों को टारगेट कर रहे हैं, जिससे पाकिस्तान और चीन के रिश्तों पर भी असर पड़ रहा है. हाल ही में आर्मी चीफ असीम मुनीर ने विदेशी निवेशकों को सुरक्षा का भरोसा दिलाने की कोशिश की, लेकिन जमीनी हालात उसके उलट कहानी बयां कर रहे हैं.

नवाज शरीफ की चर्चा तेज

इस बीच, नवाज शरीफ के परिवार की सक्रियता भी चर्चा में है. पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज भी उनके साथ कदमताल करती दिख रही हैं. शहबाज शरीफ की विदेश यात्रा और नवाज-मरियम की संयुक्त उपस्थिति को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं कि आने वाले समय में नेतृत्व परिवर्तन की पटकथा लिखी जा रही है.

कुल मिलाकर पाकिस्तान एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता के मोड़ पर खड़ा है. नवाज शरीफ की वापसी और शहबाज शरीफ की कमजोर पकड़ यह संकेत दे रही है कि ‘बड़े मियां’ एक बार फिर सत्ता की बागडोर अपने हाथ में लेने की तैयारी में हैं. आने वाले हफ्ते यह तय करेंगे कि पाकिस्तान की सत्ता की चाबी किसके हाथ में होगी.

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