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पाकिस्तान से कितनी दूर है पहलगाम? जहां आतंकियों ने मार दिए 27 इंडियन

पाकिस्तान से कितनी दूर है पहलगाम? जहां आतंकियों ने मार दिए 27 इंडियन

पाकिस्तान से कितनी दूर है पहलगाम?

जम्मू-कश्मीर का शांत और खूबसूरत इलाका पहलगाम सोमवार को एक भयानक आतंकी हमले से दहल गया. इस हमले में अब तक 27 भारतीय नागरिकों की मौत की आशंका जताई जा रही है, जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं. यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब केंद्र सरकार अमरनाथ यात्रा की तैयारियों में जुटी थी और घाटी में हालात सामान्य बनाए रखने की कोशिश की जा रही थी.

घटना के बाद देश की राजधानी दिल्ली में तुरंत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई. बैठक के तुरंत बाद शाह खुद जम्मू-कश्मीर के लिए रवाना हो गए. केंद्र सरकार इस हमले को बेहद गंभीरता से ले रही है. सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और हमले की जांच तेज़ी से शुरू कर दी गई है.

पाकिस्तान से कितनी दूर पहलगाम

पहलगाम की संवेदनशील स्थिति को समझना जरूरी है. यह इलाका पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों से ज्यादा दूर नहीं है. पहलगाम से पाकिस्तान के खैबर पखतूनवा की दूरी महज 218 किलोमीटर है. यह वही इलाका है जहां से अक्सर आतंकी घुसपैठ की कोशिशें की जाती हैं. लाहौर की दूरी 600 किलोमीटर और इस्लामाबाद की दूरी करीब 1000 किलोमीटर है. इतनी नजदीकी से यह इलाका आतंकियों के लिए रणनीतिक रूप से अहम बन जाता है.

जम्मू-कश्मीर में ही हमला क्यों?

जानकारों का मानना है कि आतंकी पर्यटन को निशाना बनाकर घाटी में डर का माहौल बनाना चाहते हैं. इससे एक तरफ जहां कश्मीर की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंचती है, वहीं दूसरी ओर यह भारत सरकार और सुरक्षाबलों को खुली चुनौती देने जैसा होता है. होटल, टैक्सी, गाइड, हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में हजारों लोगों की रोज़ी-रोटी पर्यटकों पर निर्भर है, और ऐसा हमला उनके लिए आजीविका का संकट बन जाता है.

किस संगठन ने ली हमले की जिम्मेदारी?

इस भीषण आतंकी हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है. यह संगठन पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी ग्रुप माना जाता है. TRF का सरगना शेख सज्जाद गुल है, जो इस समय पाकिस्तान में बैठा है और वहीं से संगठन को चलाता है.

TRF की शुरुआत पुलवामा हमले (14 फरवरी 2019) के आसपास मानी जाती है. माना जाता है कि इस हमले से पहले ही यह संगठन घाटी में धीरे-धीरे अपनी जड़ें जमा रहा था. 5 अगस्त 2019 को जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया, तब TRF ने पूरी घाटी में सक्रियता बढ़ा दी.

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