
असली खिलाड़ी तो मैक्रों निकले
एशिया, मध्य पूर्व से यूरोप और अमेरिका तक में उथल-पुथल मचा है. दुनिया के देश सुपरवार बनने के चक्कर में एक-दूसरे को मात देने में जुटे हैं. फेहरिस्त में चीन, रूस और अमेरिका का नाम प्रमुख है. इन सबके बीच फ्रांस ने दुनिया के साथ असल खेल कर दिया है.
फ्रांस ने एक तरफ जहां पुतिन को उलझाने के लिए यूक्रेन में शांति सेना का शिगूफा छोड़ा है. वहीं ग्रीनलैंड में अमेरिका को फंसाने के लिए डेनमार्क को हथियार बेच दिया है.
मैक्रों ने खुद की कुर्सी भी सुरक्षित कर ली है. फ्रांस में मैक्रों के धुर-विरोधी ली-पेन को वहां की अदालत ने 5 साल तक के लिए चुनाव लड़ने पर बैन लगा दिया है.
पुतिन के खिलाफ यूरोप में फ्रांस सबसे मुखर
यूक्रेन और रूस के बीच अमेरिका शांती समझौता कराने में जुटा है, लेकिन फ्रांस ने अड़ंगा लगा दिया है. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का कहना है कि पुतिन हिटलर की तरह काम कर रहे हैं और उन पर विश्वास नहीं किया जा सकता है.
मैक्रों का कहना है कि शांति वार्ता के बाद फ्रांस और अन्य सहयोगी देश वहां पर शांति सैनिक भेजेंगे. इसको लेकर यूरोप में बवाल मच गया है. रूस का कहना है कि फ्रांस के राष्ट्रपति जानबूझकर इस तरह की बात कर रहे हैं.
टकराव के बीच डेनामार्क को बेच दिया हथियार
ग्रीनलैंड को लेकर अमेरिका और डेनमार्क में टकराव है. अमेरिका ग्रीनलैंड पर अपना दावा कर रहा है. वहीं डेनमार्क का कहना है कि यह संभव नहीं है. इसी बीच फ्रांस ने डेनमार्क को उन्नत हथियार उपलब्ध करा दिए हैं.
डेनमार्क के स्थानीय मीडिया के मुताबिक फ्रांस की कंपनी से हथियार खरीदे गए हैं. डेनमार्क ने 130 फिनिश बख्तरबंद कार्मिक वाहक और सैकड़ों फ्रांसीसी मिस्ट्रल-मिसाइलों की खरीददारी की है.
पेन के जाने से मैक्रों की राह आसान
2027 में फ्रांस में राष्ट्रपति के चुनाव होने हैं. ली पेन मजबूत दावेदार बनकर उभर रही थीं. पेन दक्षिणपंथी नेता है. पेन को एक मामले में सजा मिली है. सजा की वजह से 5 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगी. यानी 2027 में दक्षिणपंथी पार्टी के ली से मैक्रों का सीधा मुकाबला नहीं होने वाला है.