
नेपाल इन दिनों एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है. राजधानी काठमांडू और देश के अन्य हिस्सों में राजशाही की बहाली और नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं. इन प्रदर्शनों की अगुवाई कर रहे एक शख्स का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है. दुर्गा परसाई. 28 मार्च को काठमांडू के टिंकुने इलाके में हुए हिंसक प्रदर्शन में दो लोगों की मौत हो गई और 110 से ज्यादा लोग घायल हो गए. अब इसी मामले के मुख्य आरोपी दुर्गा परसाई को नेपाल पुलिस ने भारत के असम से गिरफ्तार किया है.
दुर्गा परसाई को असम में स्थानीय पुलिस ने हिरासत में लिया और बिना किसी आधिकारिक प्रत्यर्पण संधि के नेपाल पुलिस को सौंप दिया. इसके बाद उन्हें भारत-नेपाल सीमा पर स्थित झापा जिले लाया गया, जहां से उसकी औपचारिक गिरफ्तारी की गई. हालांकि, नेपाल और भारत के बीच फिलहाल कोई सक्रिय प्रत्यर्पण संधि लागू नहीं है, इसलिए इस गिरफ्तारी को सार्वजनिक रूप से साझा नहीं किया गया.
ये लोग भी पुलिस की गिरफ्त में
काठमांडू में हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शनों में राजा आओ, देश बचाओ और हमें राजशाही वापस चाहिए जैसे नारे लगे. इन प्रदर्शनों में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (RPP) के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. पुलिस ने अब तक पार्टी के महासचिव धवल शमशेर राणा और उपाध्यक्ष रवींद्र मिश्रा समेत 60 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. इन सभी पर राज्य विरोधी गतिविधियों और संगठित अपराध के तहत मामला दर्ज किया गया है.
आंदोलन का चीफ कमांडर है परसाई
नेपाल सरकार के गृहमंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, दुर्गा परसाई इस पूरे आंदोलन के ‘चीफ कमांडर’ माने जा रहे हैं. वे पिछले साल से लगातार नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित करने और राजशाही की बहाली की मांग को लेकर आंदोलनों का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए एक सप्ताह का अल्टीमेटम भी दिया था. इसी वजह से उन्हें नेपाल सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती माना जा रहा था.
दुर्गा परसाई के बारे में जानें
दुर्गा परसाई एक दक्षिणपंथी राजनीतिक कार्यकर्ता हैं और पेशे से मेडिकल उद्यमी है. उसका नेपाल के बैंकिंग सेक्टर में भी एक विवादित इतिहास रहा है. जानकारी के मुताबिक, उसने नेपाल के आठ बड़े बैंकों से कुल 5.57 अरब नेपाली रुपये का कर्ज लिया था, जिसे अब तक चुकाया नहीं गया है. उस पर लोन डिफॉल्ट के कई मामले दर्ज हैं. इसके बावजूद वो हाल के सालों में नेपाल की राजनीति में अचानक सक्रिय हो गया और धार्मिक राष्ट्रवाद के एजेंडे के साथ सामने आया.
अब जब दुर्गा परसाई गिरफ्तार हो चुका है, तो सवाल यह है कि क्या इससे आंदोलन की रफ्तार थमेगी या फिर यह गिरफ्तारी आंदोलन को और तेज कर देगी? साथ ही भारत में उसकी मौजूदगी और वहां से गिरफ्तारी को लेकर नेपाल के अंदर राजनीतिक हलकों में नई चर्चा छिड़ गई है. आने वाले दिनों में नेपाल की सियासत में इसका असर जरूर देखने को मिलेगा.