विदेश

देखते रह गए अमेरिका और चीन, ताइवान के इस हॉस्पिटल ने बदल दिया जिंदा दिल

देखते रह गए अमेरिका और चीन, ताइवान के इस हॉस्पिटल ने बदल दिया जिंदा दिल

ताइवान में पहली बार हुआ धड़कते हुए दिल का ट्रांसप्लांट.

अमेरिका और चीन जैसे विकसित देशों की आंखें खुली की खुली रह गईं जब ताइवान के एक अस्पताल ने दिल के ट्रांसप्लांट की दुनिया में ऐसा कारनामा कर दिखाया, जो अब तक नामुमकिन माना जाता था.

ताइवान की नेशनल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल (NTUH) के डॉक्टरों ने एक ऐसा दिल ट्रांसप्लांट किया, जिसमें डोनर का दिल ऑपरेशन के दौरान भी लगातार धड़कता रहा. अब तक आमतौर पर दिल को ट्रांसप्लांट से पहले निकाल कर ठंडे तापमान पर सुरक्षित रखा जाता था

धड़कते हुए दिल का किया ट्रांसप्लांट

बुधवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में अस्पताल ने दावा किया कि यह दुनिया का पहला ऐसा सफल ट्रांसप्लांट है, जिसमें दिल को जिंदा और धड़कते हुए शरीर में ट्रांसप्लांट किया गया. यह उपलब्धि Journal of Thoracic and Cardiovascular Surgery Techniques में भी प्रकाशित हुई है.

डॉ. ची नाई-शिन, जो कि हॉस्पिटल के कार्डियक सर्जन हैं, ने बताया कि आमतौर पर दिल को शरीर से निकालने के बाद उसे 4 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट करना होता है, क्योंकि इस दौरान खून की सप्लाई रुक जाती है और दिल खराब होने लगता है. लेकिन इस सर्जरी में उन्होंने ECMO मशीन का इस्तेमाल किया, जो दिल को शरीर से बाहर भी धड़कता हुआ बनाए रखती है. इससे दिल को ऑक्सीजन और खून लगातार मिलता रहता है.

इस तकनीक से हो चुके हैं दो सफल ट्रांसप्लांट

अस्पताल ने बताया कि इस तकनीक से उन्होंने अब तक दो सफल ट्रांसप्लांट किए हैं. इससे न केवल दिल को नुकसान नहीं होता, बल्कि ट्रांसप्लांट के बाद दिल बेहतर तरीके से काम करता है और मरीज की बचने की संभावना भी बढ़ जाती है. डॉ. यू शी-यू, जो हॉस्पिटल के कार्डियक सर्जरी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर हैं, उन्होंने बताया कि NTUH अब तक 700 से ज्यादा हार्ट ट्रांसप्लांट कर चुका है. इनमें से 75% मरीज पांच साल से ज्यादा जी पाए हैं और आधे से ज्यादा 10 साल तक स्वस्थ रहे हैं.

ताइवान में दिल के डोनर की भारी कमी

हालांकि, ताइवान में दिल के डोनर की भारी कमी है. इस साल अगस्त तक 344 लोग दिल के इंतजार में थे, जबकि साल में औसतन केवल 80 दिल ही दान किए जाते हैं. ऐसे में अस्पताल ने एक समाधान के तौर पर होम-यूज़ वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस देना शुरू किया है, जिससे करीब 100 मरीजों को फायदा हुआ है. इनमें से 29 को बाद में दिल का ट्रांसप्लांट भी मिल गया. यह उपलब्धि न सिर्फ ताइवान, बल्कि पूरी दुनिया के लिए दिल से जुड़ी बीमारियों के इलाज में एक नई उम्मीद बनकर सामने आई है.

Related Articles

Back to top button