
दुनिया के इन 75 करोड़ लोगों पर कौन सी आफत आने वाली है?
यूरोप में इन दिनों हंगामा मचा हुआ है. यहां बिल्कुल अलग स्थिति का माहौल बन रहा है. पूरे यूरोप की करीब 75 करोड़ की आबादी को सरकारों ने सतर्क रहने की चेतावनी दी है. यूरोपीय संघ (EU) ने एक सर्कुलर जारी कर नागरिकों से कम से कम 72 घंटे के लिए आवश्यक वस्तुएं, जैसे खाना, पानी, दवाइयां और टॉर्च का इंतजाम करने को कहा है. अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इतनी बड़ी आबादी पर कौन सी आफत आने वाली है?
यूरोपीय संघ ने अपने इस अलर्ट में संभावित खतरों की सूची जारी की है, जिसमें युद्ध, साइबर हमले, पर्यावरणीय आपदाएं और स्वास्थ्य आपातकाल शामिल हैं. EU के प्रिपेयर्डनेस एंड क्राइसिस मैनेजमेंट कमिश्नर हद्जा लाहबीब ने इस फैसले को तर्कसंगत ठहराते हुए कहा कि लोगों को कम से कम तीन दिन के लिए जरूरी सामान का इंतजाम कर लेना चाहिए. यह फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब अमेरिका ने यूरोपीय देशों पर अपनी रक्षा तैयारियों को और मजबूत करने का दबाव बनाया है.
सर्कुलर में रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र
इस सर्कुलर में खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र किया गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर यूक्रेन और रूस के बीच शांति वार्ता नहीं होती है, तो यूरोपीय देश रूस के खिलाफ कड़े कदम उठा सकते हैं, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं. नाटो के महासचिव मार्क रुटे ने चेतावनी दी है कि 2030 तक रूस की सैन्य शक्ति यूरोप के लिए बड़ा खतरा बन सकती है. ऐसे में यूरोपीय देशों को अपनी सुरक्षा और संकट प्रबंधन की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है.
स्ट्रेटेजिक रिजर्व बनाने का प्रस्ताव
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यूरोप को कोविड-19 महामारी और रूस की गैस आपूर्ति में कटौती जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. इन हालातों को देखते हुए EU ने एक स्ट्रेटेजिक रिजर्व बनाने का प्रस्ताव रखा है, जिसमें फायरफाइटिंग एयरक्राफ्ट, चिकित्सा उपकरण, ऊर्जा संसाधन और विशेष आपातकालीन उपकरण शामिल होंगे. इसके अलावा, सरकारों से यह भी कहा गया है कि वे आपात स्थिति से निपटने के लिए समन्वय बढ़ाएं और लोगों को सही जानकारी दें.
कई खतरों से जूझ रहा यूरोप
विशेषज्ञों का मानना है कि यूरोप इस समय कई खतरों से जूझ रहा है और इनका प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ सकता है. रूस-यूक्रेन युद्ध के अलावा पश्चिम एशिया में जारी तनाव, वैश्विक आर्थिक मंदी और तकनीकी हमले भी यूरोप की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बन चुके हैं. ऐसे में EU का यह कदम नागरिकों को मानसिक और भौतिक रूप से आपात स्थिति के लिए तैयार करने का प्रयास है.
फिलहाल, यूरोपीय नागरिक इस चेतावनी को लेकर चिंतित हैं और आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी करने लगे हैं. हालांकि, EU ने कहा है कि यह केवल एक एहतियाती कदम है और घबराने की जरूरत नहीं है. लेकिन जिस तरह से वैश्विक परिस्थितियां बदल रही हैं, यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यूरोप और बाकी दुनिया इस संकट का सामना कैसे करती है.