
अमेरिकी टैरिफ वार
चीन और अमेरिका के बीच लगातार बढ़ते व्यापारिक तनाव अब यात्राओं पर भी असर डालने लगे हैं. बुधवार को चीन के संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय ने अमेरिकी यात्रा की योजना बना रहे अपने नागरिकों के लिए आधिकारिक जोखिम अलर्ट जारी किया. मंत्रालय ने चीन-अमेरिका के गिरते व्यापारिक संबंधों और अमेरिका में आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को इस चेतावनी का मुख्य कारण बताया है.
मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी निर्देश में कहा गया है कि अमेरिकी यात्रा की योजना बना रहे नागरिक संभावित खतरों का अच्छी तरह से भांप लें और सावधानीपूर्वक फैसला लें. यह चेतावनी ऐसे वक्त पर आई है जब दोनों देशों के बीच आर्थिक तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका है. इसके साथ ही, चीन में अमेरिका को लेकर नकारात्मक भावना भी तेजी से बढ़ रही है, जिसका असर आम नागरिकों की मानसिकता पर पड़ रहा है.
ट्रंप-जिनपिंग में टैरिफ की जंग तेज
यह चेतावनी ऐसे समय में दी गई है जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक शुल्क (टैरिफ) की जंग तेज हो गई है. अमेरिका ने चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 104 फीसदी कर दिया है, जिसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर शुल्क 34 फीसदी से बढ़ाकर 84 फीसदी कर दिया है. यह फैसला 10 अप्रैल से लागू होगा. गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही चीन को चेतावनी दी थी कि अगर उसने 24 घंटे के भीतर अपने टैरिफ नहीं घटाए, तो अमेरिका अतिरिक्त 50 प्रतिशत शुल्क लगाएगा और सभी द्विपक्षीय वार्ताएं समाप्त कर देगा.
सकते में आए सभी इन्वेस्टर
इस टैरिफ युद्ध का असर वैश्विक बाजारों पर भी पड़ा है. निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ गई है और कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन-अमेरिका संबंधों को लेकर अपने निवेश निर्णयों पर पुनर्विचार कर रही हैं. चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने अमेरिकी टैरिफ को “बेबुनियाद” और “एकतरफा धमकी” बताया है. मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका की ये कार्रवाइयां वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन हैं और इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में अस्थिरता फैल रही है.
चीनियों के लिए अब सुरक्षित नहीं अमेरिका
चीन की ओर से जारी यात्रा चेतावनी केवल सुरक्षा और कूटनीतिक चिंता नहीं है, बल्कि यह एक स्पष्ट संदेश भी है कि अमेरिका में रहना या घूमना अब चीनियों के लिए सुरक्षित नहीं माना जा रहा. इससे पहले भी चीन कई देशों के खिलाफ इस तरह के अलर्ट जारी कर चुका है, लेकिन अमेरिका को लेकर यह ताजा चेतावनी दोनों देशों के बीच बढ़ती खाई को और गहरा करती है. अब यह देखना अहम होगा कि आने वाले दिनों में यह आर्थिक और कूटनीतिक जंग किस दिशा में जाती है.