
तुर्की ने अमेरिका के साथ अरबों डॉलर की F-16 लड़ाकू विमान डील को धीमा कर दिया है, तुर्की की सरकार F-16 फाइटर जेट के बदले F-35 जेट खरीदना चाहती हैं, जो तकनीकी रूप से ज्यादा एडवांस और शक्तिशाली हैं. ये वही F-16 फाइटर जेट है, जो पाकिस्तान ने अमेरिका से खरीदे थे. इन्ही जेट्स के दमपर पाकिस्तान अपनी ताकत का दम भरता रहा है. पाकिस्तान के पास करीब 7580 F-16 फाइटर जेट्स हैं.
साल 2019 में भी तुर्की ने अमेरिका से ये विमान खरीदने कि कोशिश कि थी. हालांकि, अमेरिका ने F-35 जेट बेचने से मना कर दिया था. तुर्की का F-16 से F-35 की ओर बढ़ना एक बड़ा फैसला है. वह नाटो सदस्य है और अमेरिका का पुराना रक्षा साझेदार भी है, लेकिन रूस से S-400 खरीदने के कारण उसे F-35 प्रोग्राम से बाहर कर दिया गया था. अब तुर्की फिर से इसमें शामिल होना चाहता है ताकि अमेरिका से रिश्ते मजबूत हो सकें.
अमेरिका को मनाने की कोशिश में तुर्की
तुर्की अपनी खुद की रक्षा तकनीक भी विकसित कर रहा है, जैसे कि ड्रोन और आधुनिक सिस्टम, जो बताता है कि वह पुरानी टेक्नोलॉजी (F-16) से आगे बढ़कर एडवांस्ड हथियारों की ओर जा रहा है. इस बदलाव से तुर्की ही नहीं, बल्कि दुनिया की सैन्य रणनीति पर भी असर पड़ेगा. कहा जा रहा है कि अगर अमेरिका इस बात पर मान जाता हैं तो F-16 के लिए तुर्की द्वारा किया गया डाउन पेमेंट F-35 के लिए इस्तेंमाल किया जा सकता हैं.
क्यों कहा जाता है दुनिया का ताकतवर जेट?
F-35 एक 5वीं जनरेशन का फाइटर जेट है. ये दुश्मन के रडार से बचकर हमला कर सकता है, ये खासियत F-16 में नहीं हैं, इसी के साथ ही इसमें एडवांस सेंसर, हेलमेट डिस्प्ले, और स्मार्ट हथियार सिस्टम लगे होते हैं. इससे ये हवा और जमीन दोनों पर हमला कर सकता है. ये एक साथ कई मिशनों को पूरा कर सकता है और नेटवर्क से जुड़कर बाकी सिस्टम से जानकारी भी शेयर कर सकता है. इसकी ताकत के कारण ही तुर्की की नजर इस खतरनाक जेट पर है.
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