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जिंदा रहीं तो जेल होगी, देश पहुंचीं तो मौत मिलेगी… अफगानिस्तान की ये महिलाएं जाएं तो जाएं कहां?

जिंदा रहीं तो जेल होगी, देश पहुंचीं तो मौत मिलेगी... अफगानिस्तान की ये महिलाएं जाएं तो जाएं कहां?

अफगान महिलाओं को सता रहा पाकिस्तान से जबरन वापसी का डर

‘अगर मुझे वापस अफगानिस्तान भेजा गया, तो इसका मतलब सिर्फ मौत होगी’. यह कहना है हमैरा अलीम का, जो एक अफगान महिला कार्यकर्ता हैं और फिलहाल पाकिस्तान में शरण ले रही हैं. लेकिन यह सिर्फ हमैरा की कहानी नहीं है. ऐसी सैकड़ों अफगान महिलाएं हैं, जो न तो अपने देश लौट सकती हैं और न ही शरण की स्थायी जगह पा रही हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान में रह रहीं करीब 60 प्रमुख महिला अधिकार कार्यकर्ता जबरन निर्वासन के ख़तरे का सामना कर रही हैं. ये वे महिलाएं हैं, जो तालिबान शासन के दौरान अफगानिस्तान छोड़ने को मजबूर हुई थीं. अब उन्हें डर है कि अगर वापस भेजा गया, तो उन्हें जेल या मौत का सामना करना पड़ेगा.

पाक की सख़्त नीति और बढ़ती परेशानियाँ

पाकिस्तान सरकार ने हाल ही में अपनी सख्त नीति के तहत लाखों अफगानों को देश से निकालने का फैसला किया है. ये कदम तब लिया गया जब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव बढ़ा और सीमा क्षेत्रों में चरमपंथी हमलों में इजाफा हुआ. पाकिस्तानी मंत्रियों ने अफगानों पर देश में अपराध और आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाया है. सितंबर 2023 से पाकिस्तान ने अफगान शरणार्थियों को वापस भेजना शुरू किया, और अब तक एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम 8.44 लाख अफगानों को जबरन देश से निकाला जा चुका है.

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महिला कार्यकर्ताओं की मुश्किलें बढ़ीं

इस फैसले के चलते 60 महिला कार्यकर्ता और मानवाधिकार रक्षक भी खतरे में हैं, जो तालिबान से बचकर पाकिस्तान पहुँची थीं. इनमें से कई महिलाएँ शिक्षा और महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाने के कारण तालिबान के निशाने पर थीं. हमैरा अलीम, जो अफगानिस्तान में सात वर्षों तक महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा के लिए काम कर चुकी हैं, उन्हीं में से एक हैं.

जब 2021 में तालिबान ने सत्ता संभाली, तो उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई और प्रदर्शन किए. मगर उन्हें धमकियाँ मिलने लगीं, जिससे मजबूर होकर दिसंबर 2022 में उन्हें पाकिस्तान भागना पड़ा. अब वह अपने दो छोटे बच्चों के साथ इस्लामाबाद में छिपकर रह रही हैं. हाल ही में, पुलिस जब उनके घर आई, तो उन्हें अपने बच्चों के साथ छत पर छिपना पड़ा.

क्या मिलेगी कहीं शरण?

पाकिस्तान सरकार ने 31 मार्च की डेडलाइन दी है, जिसके बाद वे बिना दस्तावेज़ वाले अफगानों को गिरफ्तार करेगी. महिला कार्यकर्ता सिर्फ़ थोड़ा और वक़्त माँग रही हैं, ताकि उन्हें किसी तीसरे देश में शरण मिल सके. इस समय वे ब्राजील या किसी अन्य देश से मदद की उम्मीद कर रही हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि पाकिस्तानी प्रशासन अफगान शरणार्थियों के अधिकारों का खुलेआम उल्लंघन कर रहा है. यह एक अमानवीय निर्णय है. वहीं, कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर पाकिस्तान इन महिलाओं को वापस अफगानिस्तान भेजता है, तो यह उन्हें मौत के मुँह में धकेलने जैसा होगा.

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