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जंग और आर्थिक संकट के बीच सबसे सुरक्षित है ये देश! बड़े-बड़े अरबपति कर रहे पलायन

जंग और आर्थिक संकट के बीच सबसे सुरक्षित है ये देश! बड़े-बड़े अरबपति कर रहे पलायन

लंदन से हो रहा अमीरों का मोहभंग

दुनिया भर में जहां जंग और आर्थिक अस्थिरता का माहौल है, वहीं अमीरों का एक बड़ा तबका अब ज्यादा सुरक्षित और स्थिर देशों की ओर रुख कर रहा है. इसी कड़ी में कभी करोड़पतियों की पहली पसंद रहा लंदन अब अपनी चमक खोता दिख रहा है. एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, लंदन अब दुनिया के टॉप 5 सबसे अमीर शहरों की लिस्ट से बाहर हो गया है.

रिपोर्ट की मानें तो बीते एक साल में यूके की राजधानी ने 11 हजार 300 डॉलर मिलियनेयर खो दिए हैं. इसमें 18 सेंटीमिलियनेयर (जिनके पास कम से कम 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति हो) और दो अरबपति भी शामिल हैं.

किसने जारी की ये रिपोर्ट

यह आंकड़े ग्लोबल वेल्थ पर आधारित एक वार्षिक रिपोर्ट में सामने आए हैं, जिसे फाइनेंशियल एडवाइज़री कंपनी Henley & Partners ने जारी किया है. रिपोर्ट बताती है कि लंदन, मॉस्को के बाद दुनिया का ऐसा दूसरा शहर है जहां करोड़पतियों की संख्या सबसे तेजी से घटी है. मॉस्को में यह गिरावट यूक्रेन युद्ध के चलते अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की वजह से आई है.

क्यों अमीरों का मोहभंग होता जा रहा है?

वर्तमान में लंदन में 2,15,700 डॉलर मिलियनेयर हैं. लेकिन अमीरों का इस शहर से मोहभंग होता जा रहा है. यह आंकड़ा दस साल पहले की तुलना में कम है. दुनिया के टॉप 50 शहरों में यह उन दो शहरों में से एक है जहां करोड़पति घटे हैं. Henley & Partners की इस रिपोर्ट में संपत्ति को लिक्विड इन्वेस्टेबल एसेट्स यानी नकदी, बॉन्ड्स और शेयर के रूप में गिना गया है, जबकि प्रॉपर्टी की गिनती इसमें नहीं की गई. इस गिरावट की एक बड़ी वजह देश में बढ़ते टैक्स और राजनीतिक अस्थिरता मानी जा रही है.

दुबई, स्पेन की ओर रुख कर रहे अरबपति

इसका उदाहरण हैं ब्रिटेन के सबसे अमीर प्लंबर कहे जाने वाले पिमलिको प्लंबर के फाउंडर चार्ली मुलिन्स. चार्ली मुलिंस ने भी देश छोड़ने का ऐलान कर दिया है. चार्ली मुलिन्स ने 2021 में अपनी कंपनी 145 मिलियन पाउंड में बेची थी और अब वह अपना पैसा स्पेन और दुबई की प्रॉपर्टी में निवेश करने जा रहे हैं.

उन्होंने यह भी बताया कि उनका परिवार बढ़े हुए इनहेरिटेंस टैक्स को लेकर परेशान है. यही नहीं, उन्होंने लंदन के मेयर सादिक खान की आलोचना करने पर OBE सम्मान छीने जाने की धमकी मिलने का भी दावा किया. वहीं सरकार का कहना है कि अर्थव्यवस्था को बढ़ाना उनकी प्राथमिकता है, लेकिन इसके लिए पहले बुनियादी ढांचे को मजबूत करना जरूरी है.

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